Richa Jha   (ऋचा राज)
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Joined 5 July 2019


Joined 5 July 2019
21 APR 2023 AT 0:44

दफ़ना चुके या अब भी तुम में आबाद हूँ मैं!

मैं बेक़दर नहीं हाँ बेख़बर हूँ तुम्हारे हालात से,
मग़र तुम्हें क्या ख़बर तुम्हारे बिना बर्बाद हूँ मैं!

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10 APR 2023 AT 0:06

वो तो तूने अपने अर्फ़ों में संभाल रखा है अब भी
वरना गुज़रते वक़्त के साथ ख़र्च मैं भी हो रही!

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13 NOV 2022 AT 23:52

You,
Me and,
the eternal bond
we share !!

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11 NOV 2022 AT 23:51

की लिखना चाहूँ भी तो तुम्हें मैं कैसे लिखूँ
जिनमें तुम समा सको इतने लब्ज़ कहाँ से लाऊँ !

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11 NOV 2022 AT 23:46

I want but I can't !

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10 NOV 2022 AT 23:02

ये छांव भी ज़रा दम भरे,
मुस्कान बने रहे चहरे पर
फ़िर चाहे खुशी या ग़म मिले !

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10 NOV 2022 AT 22:55

एकाकीपन तक आकर
सुकून बन जाता है !

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9 NOV 2022 AT 23:51

कहने और सुनाने को
मगर मेरे हिस्से
खामोशी ही आई

आंखों में नींद तो बहुत थी
गहरी नींद सो जाने को
मगर मेरे हिस्से
जागती रातें और
बदलते करवटें ही आई


लोग तो बहुत थे
दिल लगाकर दिल्लगी निभाने को
मगर मेरे हिस्से
इंतज़ार और
एकतरफ़ा आशिकी ही आई।

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9 NOV 2022 AT 23:40

मुझे नहीं आया प्रेम में
फूल या पत्ते बन जाना
पहले पनपना
फ़िर खिलना
फ़िर मुरझाकर झड़ जाना,

मैं तो प्रेम में
जड़ और डाल ही बन सकी
मुझे आया बस
हर मौसम में
ठहरकर राह तकना ।

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8 NOV 2022 AT 23:53

for the words to get beaded
for the rhythm to harmonize
For the poem to born,


But then, I realised
A poem can't take birth ,
as something which takes birth will die
And Poem can never die it's eternal.

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