Anuraag Soni   (अनुरागी मन)
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सरल, सहज, सुगम हूँ मैं...
पर तेरी सोच से परे हूँ मैं...
Joined 16 November 2017


सरल, सहज, सुगम हूँ मैं...
पर तेरी सोच से परे हूँ मैं...
Joined 16 November 2017
26 APR AT 7:50


काँच की दीवार

काँच की दीवार में एक छोटी सी दरार थी…
लेकिन अब उसमें से रोशनी आने लगी थी।

पूरी कहानी अनुशीर्षक में...

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26 APR AT 1:31

रात...
लंबी रात...
बहुत लंबी रात...

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26 APR AT 1:17

चुपके से बैठा है कोई
भीड़ में भी एकांत सा,
शब्द नहीं, फिर भी बोलता है
आँखों में खामोशी लिए शांत सा।

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10 APR AT 13:00

दिन की थकन और टूटे सपनों
की आरामगाह है रात,
जब हर शोर थम जाए,
और दिल की आवाज़ सुनाई दे साफ।

चाँदनी ओढ़े कुछ खामोश लम्हें,
जिनमें छिपे होते हैं कई अनकहे ग़म,
तकिए पर ठहरी ख्यालों के धागे,
बुनते हैं ख्वाबों का मूक आलम।

हर टिमटिमाता तारा गवाह बनता है,
किसी दिल के अधूरे अरमानों का,
और नींद की गलियों में कहीं
मुलाक़ात होती है पुराने फसानों से।

रात सिखा देती है मुस्कुराना भी,
आँसुओं के बाद जब थक जाए रूह,
उजाले से पहले की ये तन्हा घड़ी,
थमा जाती है दिल में सहर की नमी।

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9 APR AT 14:14


"सब ठीक है..."
ये महज़ जवाब नहीं होता,
ये एक पर्दा होता है —
जिसके पीछे हम रोज़
थोड़ा और खुद से दूर हो जाते हैं।

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8 APR AT 18:45

वहीं रह जाते हैं हम,
जहाँ अपने छूट जाते हैं।
वक़्त तो चलता है आगे,
हम पीछे छूट जाते हैं...

वहीं रह जाते हैं हम,
जहाँ सपने टूट जाते हैं।
चलती रहती है दुनिया,
हम ख़ुद से रूठ जाते हैं...

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8 APR AT 15:57

मेरे हर एक शब्द में,
हर एक ख़ामोशी में,
आपकी यादें बसती हैं।
आपका अनुशासन, संयम और
आपकी सीख हर कदम पर साथ चलती है।
आपका आशीर्वाद ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।
आपको श्रद्धांजलि पापा
सादर नमन...🙏

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17 DEC 2024 AT 21:40

"सब ठीक है..." कह कर हम बहुत कुछ छुपा जाते है।

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15 DEC 2024 AT 0:40

आज कल नया नहीं कह पाता,
शायद मैं लिखना भूल गया हूँ

अब सजती नहीं महफ़िलें मेरी,
शायद मैं गुनगुनाना भूल गया हूँ।

गलबहियां डाले खड़ी तन्हाई
शायद मैं मुस्कुराना भूल गया हूँ।

नहीं आते कोई ख़्याल अनुराग
शायद मैं जीना भूल गया हूँ।

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14 DEC 2024 AT 23:22

नहीं मिलते मिसरे मेरे

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