बेपनाह इश्क़ का है फ़ितूर क्यों हैं मजबूर कैसी ये उलझन नजर भर देखने की है तमन्ना न देख पाने की बेइंतहा तड़पन दिल में बेशुमार जज़्बातों का सैलाब मगर कह न पाने की दर्द भरी चुभन सब्र रखा जाता नहीं मगर रखते हैं कैसी है ये प्रीत कैसी है ये लगन जिसका हिज्र तो तड़पाता ही है वस्ल भी देता है दर्द भरी चुभन उसका मिलना मुकद्दर में नहीं और भूल जाना मेरे बस में नहीं Tanuja shivhare