सोचती हूँ
कि क्या गुजरती होगी
उन ख़यालों पर
जो लिखे नहीं जाते...
शायद
शब्द बनकर जहन में
स्याही के तरह फैल जाते होंगे...
आकृतियों का जाल
बनता बिगड़ता सा
और कुछ धूमिल सा हो जाता होगा...
कुछ जिद्दी जज़्बातों की कश्मकश
उभरने से पहले
दफ़्न हो जाती होगी...
एक टीस एक कसक
जो चुभती रहती सीने में
खयाल बनकर
किताबों में गुलाब की तरह सो जाती होगी..!-
❤️कोई कोरा कागज़ समझता है तो
कोई पूरी किताब नही... read more
अपनी दुश्वारियों का बही खाता है
अपनी परेशानियों का हिसाब है..
पूरा नहीं है इसका कोई भी सफा
ज़िन्दगी हर किसी की अधूरी किताब है!!-
ना जाने क्यों हर शख्स में
तेरा ही अक्स नज़र आता है..
बात इतनी भी माकूल ना रहती मगर
हर पल तेरा ही यूँ अंदाज़ नज़र आता है..
क्या कहें कि शख्सियत तेरी
हो रही है हम पर हावी
या ये वजूद मेरा कुछ तुझसा नज़र आता है..!-
जब तक जिस्म में रूह है
तब तक तो उसको खुश रखो,
रूह के जिस्म से जाने के बाद
खुश किसको रखोगे???
अफसोस को या खुदको..!-
जरूरत नहीं हो तुम मेरी,
फिर भी इतने जरूरी हो..
कि जितनी जरूरी है ये रात,
सुबह के आगाज़ के लिए..
गर रात न होती तो तुम ही कहो
क्या ही कीमत होती सुबह की ??
बस वैसे ही मेरा मूल्य तुमसे है
और मेरे लिए तुम अमूल्य हो..!-
पुरुष जल्दी रोता नहीं
अपनी पीड़ाएँ व्यक्त करता नहीं
मौन रहकर चाहता है कि
स्त्री पढ़ ले मन की भाषा
सहज होना चाहकर भी
गंभीर हो जाता है
मजबूत पत्थर की तरह दिखने वाला भी
थाम लेना चाहता है
शायद किसी का सहारा..!-
ख्वाहिशें कहाँ इतनी महीन होती हैं..
जो सिमट कर इन हथेलियों में समा जाएं..!-
मुझमें कोई बात नहीं,
मेरी कोई औकात नहीं.!
कि तू ही मेरी शैदा है,
तू ही मेरा है गुरुर...!!-
तुम्हारी आंखें,
उनकी चमक
और चेहरे की वो मुस्कान
अहा!
कोई मरता हुआ भी गर देख ले
तो जीवित हो उठे...!
सहम जाती हूँ अक्सर ही
कहीं छीन न लूँ
किसी नादानी में मैं इसे..!
तुम्हें पता है,
तुम ईश्वर की सबसे श्रेष्ठ कृति हो
जिसे उसने मुझे
पता नहीं किस पुरूस्कार स्वरूप दे दिया..
और मैं बावरी
समझ ही नहीं पाती
कैसे सजाऊँ इसे..!-
लोग कहते हैं ख्याल मिलते हैं उससे तुम्हारे
वो कहता है गलतफहमी में है लोग
मैं ही तो तुम हूँ...!-