Shriyansh Pathak   ("हर्ष पाठक")
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"हम काहे बताई..!"😏😏
🖤
अकेला..आवारा..शब्दों का कातिब!
Joined 23 June 2019


"हम काहे बताई..!"😏😏
🖤
अकेला..आवारा..शब्दों का कातिब!
Joined 23 June 2019
21 FEB 2022 AT 9:25

कैमरे को घुमाते अपनी तरफ़,
मुद्दतों बाद खुदी को जो भाते।

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20 FEB 2022 AT 16:47

फटेहाल रहता है भिकारी के मानिंद,
या पैरहन उसके देह पर जँचता नहीं है?

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20 FEB 2022 AT 15:10

चाहे हम
किसी के समीप हों
या न हों

हमारा चाहना
अगले को सुंदर बनाता है

मेरे दोस्त!
ये दुनिया चाहतों पर टिकी है
और यूँ ही नहीं
बेहद सुंदर है।

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17 FEB 2022 AT 12:19

इश्क़ में
साँसें गिनना
बेहयाई
है,

इश्क़
हँसता-बोलता
अच्छा लगता है।— % &

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17 FEB 2022 AT 11:11

....— % &

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17 FEB 2022 AT 9:28

कभी हाथों में जुगनू थे कभी जुगनू अकेला था
आसमाँ में कई सारे जुगनुओं का ही मेला था,
यही जुगनू हमेशा आह भर रोते हैं रातों में
ये जुगनू थे या मैं ही था जो हर रात अकेला था।— % &

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13 FEB 2022 AT 10:52

तुम्हारे माथे पर
फूल से किया गया हस्ताक्षर
आने वाले प्रेमी जोड़ों
के लिए एक
अभिलेख होगा

और
फूल से फूल के संयोग का विवरण
दर्ज किया जाएगा पांडुलिपियों में

हमारा चुम्बन ऐतिहासिक होगा।— % &

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7 FEB 2022 AT 11:18

इस क़दर आशनाई में उलझा रहा 'हर्ष',
मुर्शिद तेरे बिछाए काँटे गुलाब ही दिखे मुझे।— % &

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6 FEB 2022 AT 11:00

श्रोता
अकेले हो जाते हैं
जब
सुर साथ छोड़ देती है

तब गीत चुभता है
और गायकी महकती है
सदियों तक।— % &

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6 FEB 2022 AT 8:13

ट्रेन में
यात्रा के दौरान
सबको
पेड़ भागते दिखते हैं,

एक छोर से दूसरे छोर तक
मुझे
मैं भागता दिखा।— % &

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