जुनून-ए-ईश्क है औकात-ए-फ़राज़
फी़र दिल तोडने की बात करता हैं-
आप हमसे अगर न बोलेंगें
अपनी पलकों को भिगो लेंगे
पहले एक-एक लफ्ज़ तोलेंगे
फिर कहीं हम ज़बान खोलेंगे
जब वो लफ़्ज़ों का जाल फेकेंगा
लोग मेरे खिलाफ बोलेंगे
दिल के ज़ख्मो की हमको फिक्र नहीँ
हम उन्हें आँसुओं से धो लेंगे
जब वो अहसास मुस्करायेगा
आईने से लिपट के रो लेंगे
बात जन्नत की और आपकी थी
कह दिया हम आपको लेंगे
कल हमीं लोग तेरे आलम के
जो छुपे है वो राज़ खोलेंगे-
भली सी एक शक्ल थी
भली सी उस की दोस्ती
अब उस की याद रात दिन
नहीं, मगर कभी कभी
-: फ़राज़ साहब-
अपनी सोच फ़राज़ रखना, भले काम छोटा करना
धीरे धीरे तरक्की ज़रूर होगा, इतना भरोसा ख़ुद पर रखना-
धीरे धीरे ही सही, फ़राज़ पर पहुंचेगा ये देश हमारा..!
कोशिश करें दिल सेअगर, बदलेगा परिवेश हमारा..!!
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दिल-ए-फराज में तुम्हें बिठाया है
इस तरह हमने दिल को सजाया है।
Ritesh Christian ❤-