गरम चाय की प्याली सा तन तुम्हारा
किसे चाहता है सनम मन तुम्हारा-
भीगी रातें लेकर आती यादें तेरी
भूलना मुश्किल है कल की बातें तेरी
मेरी दुनिया में उजाला तेरे दम से
चमका करती मोती जैसी आँखें तेरी
नाज़ुकी है नाज़ भी जलवों में तेरे
संगमरमर सी लगी है बाँहें तेरी
जान देकर भी निभाती है जो वादा
दुनिया कहती है ,वफ़ा की राहें तेरी-
बिना चाहे किसी से भी मोहब्बत हो ही जाती है
अगर उल्फ़त हुई हो तो शिकायत हो ही जाती है
करो जो प्रेम सच्चा तो पिघल जाता है पत्थर भी
सुना है पत्थरों की भी इनायत हो ही जाती है
तबाही होने लगती है नज़र आती नहीं जब तू
निगाहें ढूंढती रहती हैं आदत हो ही जाती है
बनाकर के बहाना आशियाने पर मेरे आना
बिना मतलब भी मिलने से रफ़ाक़त हो ही जाती है
नयन के तीर को तन -तन चलाना जानती हो तुम
नज़र तिरछी अगर डालो क़यामत हो ही जाती है-
हवाओं में उड़ती रंगीन तितलियाँ हैं
अदाएं सनम की गिराती बिजलियाँ हैं-
किसी रोज़ तुमने कहा था
तेरे दिल में कुछ कुछ हुआ था
लगी मोम की गुड़िया जैसी
बदन तेरा मैंने छुआ था
सबा बन के जो पास आई
कि गुंचा-सा दिल खिल उठा था
मेरे पास आई जो चलके
सुकूं दिल को मेरे मिला था
लगी जागने आस मेरी
दिया आँखों में जल उठा था-