Ashu Aryan   (©Aryan (बैरागी))
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Joined 30 August 2018


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Joined 30 August 2018
3 APR 2020 AT 13:49

कुण्डल मकर के कर्ण हैं अनिंद्य श्याम वर्ण है
त्रैलोक्य भार धारते,वो राम जग के मर्म हैं।

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28 FEB 2019 AT 18:50

रामायण
(याज्ञवल्क्य भरद्वाज सम्वाद)

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26 FEB 2019 AT 22:06

रामायण
(मंगलाचरण)

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15 OCT 2021 AT 14:03

‘बिदाई गीत’

‘अम्बे जगदम्बे नाही जाउ हो
माई अँचरा छोड़ाई के’

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7 AUG 2021 AT 22:41


निज हाथ भाल भारत के लाल द्युतिमय कपाल ने धारा।
कौतुक विशाल करि दीप्त भाल, विपदा कराल से तारा॥
कुंठित से काल में पथ निकाल नभ में गुलाल भर सारा।
बरछा उछाल करके कमाल जय का है माल गल डारा॥

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26 JUL 2021 AT 22:34

नेह ‘मैथिली’ से!
(कविता अनुशीर्षक में)

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2 JUL 2021 AT 12:34

(नीचे पढ़िए)

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20 JUN 2021 AT 21:25

पिता!
एक ऐसा खूँटा होता है
जिसमें बन्ध कर
बछड़े को नही रहता है डर
दुनिया में भटक जाने का।

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28 MAY 2021 AT 21:07

इंसान अपनी कभी न पूरी हो सकने वाली
आशाओं की एक दीवार खड़ी करता है,
जब उस दीवार की उम्र पूरी हो जाती है
फिर उसी दीवार से कूद कर मर जाता है।

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24 MAY 2021 AT 0:12

नफरत से बिछड़ते तो बेहतर था शायद
यूँ हँस के बिछड़ जाने में दम निकल गया

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