कुण्डल मकर के कर्ण हैं अनिंद्य श्याम वर्ण है
त्रैलोक्य भार धारते,वो राम जग के मर्म हैं।-
Ashu Aryan
(©Aryan (बैरागी))
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स्वागतम्
नाम-जो भी आप प्यार से पुकार लीजिये।
(वइसे लोग हियाँ हमको ‛मिथिलाकुमार ’कह कर बुलात... read more
नाम-जो भी आप प्यार से पुकार लीजिये।
(वइसे लोग हियाँ हमको ‛मिथिलाकुमार ’कह कर बुलात... read more
Joined 30 August 2018
3 APR 2020 AT 13:49
7 AUG 2021 AT 22:41
निज हाथ भाल भारत के लाल द्युतिमय कपाल ने धारा।
कौतुक विशाल करि दीप्त भाल, विपदा कराल से तारा॥
कुंठित से काल में पथ निकाल नभ में गुलाल भर सारा।
बरछा उछाल करके कमाल जय का है माल गल डारा॥-
20 JUN 2021 AT 21:25
पिता!
एक ऐसा खूँटा होता है
जिसमें बन्ध कर
बछड़े को नही रहता है डर
दुनिया में भटक जाने का।
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28 MAY 2021 AT 21:07
इंसान अपनी कभी न पूरी हो सकने वाली
आशाओं की एक दीवार खड़ी करता है,
जब उस दीवार की उम्र पूरी हो जाती है
फिर उसी दीवार से कूद कर मर जाता है।-
24 MAY 2021 AT 0:12
नफरत से बिछड़ते तो बेहतर था शायद
यूँ हँस के बिछड़ जाने में दम निकल गया-