शाम की सरगोशियाॅं समेट लायी ख़्वाब पुराने
आँखों ने फिर चुपचाप सफ़र वो याद किया-
Cogito ergo sum.( "I think, therefore I am" )
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जब हर मोड़ पे उम्मीद पलती है
अँधेरी रात की गोद से भी
सुबह की किरण निकलती है-
स्वर आले दुरूनी, प्रीतीचे बोल झेलूनी
उरे ना काही, तुझ्याविना जगण्या राणी
हा काळ थांबला जणू, तुझ्या आठवांनी
अश्रूंचे पाट झरती, बघं ह्या पापण्यांतूनी
डोळ्यांत साठवून मी, रूप तुझे सुंदर
जगतोय प्रत्येक क्षण, तुझेच स्वप्न पाहुनी
तुझी वाट पाहत मी, झालो किती वेडा
जीवन सरत आले, तुझाच ध्यास घेऊनी
प्रत्येक वाटेवरती, तुझीच चाहूल भासे
धावतो तुझ्या दिशेने, मी वेडा होऊनी
आशा अजून आहे, भेटू आपणं पुन्हा
आयुष्य हे समर्पित, तुझ्याच आठवांनी
श्वासात माझ्या आहेस, प्रत्येक स्पंदनी
अखेरचा श्वास घेईन, तुझे नाव घेऊनी-
दिल के काग़ज़ पर नाम लिख दिया करो
उन्हें अपने प्यार का पैग़ाम दिया करो
बयाँ नहीं होते दिल के हर जज़्बात यूँ ही
तो आँखों से तुम उन्हें सलाम दिया करो
वो समझ जाएँगें इश्क़ की ये खामोशी
तुम बस होठों से अपना कलाम दिया करो
रातों को चाँदनी में तुम उन्हें ढूँढ लिया करो
ख्वाबों में आकर उन्हें आराम दिया करो
मोहब्बत को लफ्ज़ों की ज़रूरत कहाँ होती है
तुम ख़ामोशी में भी उनका नाम लिया करो-
सुबह की वो ठंडी हवा तेरा पता पूछती है
धूप भी तेरे चेहरे की तरह रौशनी बिखेरती है-