मैं चांद हूं
अंधेरे का मुसाफिर हूं
मगर प्रेम परिहार को
प्रेमियों की पहली पसंद हूं-
नहीं मालूम कब लिखना शुरू किया, परंतु लिखने ... read more
शब्दों की होली
कभी लगी ठिठोली
कभी लगी गाली
मगर एक हाथ से
कहां बजती है ताली!
जिसने जैसा समझा
वैसी नहीं है होली
ये तो सबकी है हमजोली
इसलिए प्रेम की बोलो बोली
सबको हैप्पी होली 🙏
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ख्वाहिशें अधूरी सी
ताउम्र रहीं
कभी पास तो
कभी दूर दिखती रहीं
पाने की हसरतें
जिंदगीभर जवां रहीं
इस कश्मकश में
जिंदगी तमाम हुई-
जननी से बढ़कर
साहस की मूरत
कौन है!
वो जीवन दांव पर रखकर
सृजन को प्राथमिकता देती है
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इज्ज़त की एहमियत
वही समझता है
जिसने अर्जित किया है
या
सुसंस्कारों द्वारा
संवर्धित हुआ है-
शिक्षा और समझदारी
इक दूजे के पर्याय हैं
शिक्षित व्यक्ति ही
समझभरी नीति निर्धारण कर
लक्ष्य भेदन कर पाता है-
स्त्री से सीखा
इस्त्री हो जाना
मुश्किलों की सलवटों को
दृढ़ता से सपाट कर देना-
भूला फ़साना कोई
आज बेसाख्ता याद आया
अतीत की गलियों ने
आज को आंसुओं में डुबाया-