थोड़ा सा मुक़द्दर मिल जाये तो बात बने,
काश कभी मनचाहे कुछ हालात बनें.!
तूफ़ानों के बीच सफ़ीना घिरा है क्यों.?
काश कभी ख़ुशहाली ही शुरुआत बने.!
कांटों पर चलकर मंज़िल को पाना है,
अंगारों को अपना ताप दिखाना है,
करना है जो कुछ भी मैंने ठाना है,
काश कभी किस्मत की मेरे साथ बने.!
थोड़ा सा..
बचपन से हर पल ये मुझ पर तारी है,
अपने वज़न से ज़्यादा ज़िम्मेदारी है,
लेकिन मेरी ज़िद मुश्किल पे भारी है,
काश कभी ये उलझन ही सौगात बने.!
थोड़ा सा..
सिद्धार्थ मिश्र
-