हश्र-ए-मोहब्बत...हश्र-ए-जाम नही लिख सके,
क्या हुआ मेरे इश्क़ का...अंजाम नही लिख सके,
कोई सवाल ना पूछे उसे...मेरा नाम लेकर,
यही सोचकर ग़ज़ल में...उसका नाम नही लिख सके।-
अच्छा लिखना है अगर...तो पढ़ा अच्छा करो...☺
अच्छा लिखता हूँ अगर...तो मेरा पीछ... read more
किस्सों में अक्सर जो मोहब्बत होती है,
हक़ीक़त में वैसी मोहब्बत नहीं मिलती,
मोहब्बत होती है रूह को रूह से...
जिस्मों में उतरकर मोहब्बत नहीं मिलती।-
आम का मौसम है,बाग ...दिखा दूँ क्या?
जल जल के हुआ हूँ मैं,कितना राख... दिखा दूँ क्या?
और शहर में चंद लोग मुझे काफ़िर कहते है,
अंदर से कितना हूँ मैं पाक... दिखा दूँ क्या?-
ततावुल ना किया कर...तू अपने हुस्न पे इतना,
उम्र चढ़ेगी...तो ये उतर जाएगा...
सुना है तेरे शहर में...चूहे बहुत है...
कोई आशिक़ बनकर...कुतर जाएगा ।😍😂😘-
दिन निकलने में...अभी वक़्त है यारो,
अभी दिनकर ज़रा...चढ़ तो जाने दो,
सुनाऊंगा शायरी...सब तुम्हारे काम की,
अभी Follower ज़रा...बढ़ तो जाने दो।🙏-
अब तो मैं राह का...पत्थर हो चला हूँ...
कहाँ जरुरत अब मुझे...किसी आशियाने की?
वक़्त मिला...तो आपसे जरूर मिलूँगा...
अभी तो...ठोकरों में हूँ ज़माने की...😢-
चरागदान कोई गर्द से...ढका पड़ा है...
बहुत दिनों से उस बुढ़िया ने...कोई चराग नहीं जलाया...
सुना है उसका बेटा... फ़ौज में था...👮
सरहद पर गया था...लौटकर नहीं आया...😢-
देखूंगा तुझे जी भर के...आज तिशनगी मिटाऊंगा,
आज बन के चाँद...मैं तेरी छत पे आऊंगा ।-
चूम लूँगा तेरा चाँद सा मुस्कुराता चेहरा,
गर तुम सामने मेरे यूँ ही बैठोगे कभी।।
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