मन लग गया है मेरा, फिर कुछ पाने में,
अब ख्वाबों की कश्ती लगेगी मंजिल के किनारे में।
नहरों की ऊंच नीच नहीं रोक पाएंगी रास्ता,
हर सफर में है कुछ खास दोस्तो से वास्ता।
यूं तो मुश्किलों के तूफान कम नहीं,
मगर हम भी गोताखोरों से कम नहीं।
पा लेंगे सफलता का मोती, नसीब में जो लिखा,
कुछ दिन की जिन्दगी, किसी से क्या गिला शिकवा।
तो आओ थामो मेरा हाथ,
साथ चले न देखें पीछे मुड़कर आज।
क्योंकि, मन लग गया है मेरा फिर कुछ पाने में,
अब ख्वाबों की कश्ती लगेगी मंजिल के किनारे में।
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