sushmita Raghuvanshi  
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Never give up on your own dreams
Joined 25 March 2019


Never give up on your own dreams
Joined 25 March 2019
14 FEB 2024 AT 9:57

सफर में मिला खोया मन मेरा,
मंजिल को जैसे सहारा मिला।
मौसम का मिजाज थोड़ा खफा सा था,
लेकिन बुझे मन को सब सुनहरा सा लगा।
हवाओं ने अपने बहाव को समेटा सा था,
लेकिन ओस की बूंदों से रग रग मोतियों सा लगा।
पौधो मे नई कोंपलें खिली,
जीने की जैसे नई उम्मीदें मिली।
सूरज की किरणे जलाती तो थी,
लेकिन आँखो को ये सब सुहाना सा लगा।
बहारो को आने का इरादा तो था,
लेकिन दिल को वापस लौटने का बहाना सा लगा।
सफर मे मिला खोया मन मेरा,
मंजिल को अब सहारा मिला।



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20 APR 2022 AT 17:01

जिंदगी की किताब अब राज नही होती ।
अब नजरे मिलती तो है, पर बात नही होती।
अब तमन्ना और ख्वाहिशे भी खत्म हो रही
जैसे प्रकृती अपने अंश के टूटने से रो रही
अब फासलों का फासला की बढ़ रहा
जैसे सूखे पेड़ से आखिरी पत्ता झड़ रहा
दिल के दरवाजे पर जज्बात की आहट नही होती।
अब नजरे मिलती तो है, पर बात नही होती।

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20 NOV 2021 AT 1:10

कही तुमने भी तो नही अपने अरमानो को जला दिया है।
कही तुमने भी तो नही अपने ख्वाबों के पक्षी को निराश किया है।
खुद से सामना करके तो देखो
फिर अपने पंख फैला कर तो देखो
मिट जाएगा सारा दर्द एक बार फिर से मुस्करा कर तो देखो ।

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8 MAY 2021 AT 0:22

What do I do,
I don't know now
I am stuck in the darkness,
I wonder how
There is so much cry too much pain,
I lost my everything without any gain,
How can I say that
how much I suffering.
My life's broadcast hanging
with so many buffering.
I feel the chain of illness and rudeness on my neck,
Now I lost myself and my heart gonna Black........

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25 MAR 2020 AT 23:45

चलो ना एक दुनिया बनाते हैं,
सितारों से आगे एक जहां बसाते हैं।
सिर्फ मैं और तुम हो वहां,
कोई गम न हो जहां।
रोशनी ही रोशनी हो वहां,
कोई अंधेरा न हो जहां।
चलो ना अरमानों के दीपक जलाते हैं,
सितारों से आगे एक जहां बसाते हैं।
सोचती हूं, लाख दुआएं मांगी होगी,
जब जाकर तुम्हें पाया होगा।
रब ने लिखा नाम तेरा मेरा ,
तब जाकर हमें मिलाया होगा।
चलो ना सारे बंधनो को तोड़ जाते हैं,
सितारों से आगे एक जहां बसाते हैं।

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31 OCT 2019 AT 1:15

तेरी आंखों से कुछ कहती मेरी आंखें ।
तुझे देखने में, सारा दिन गुज़ारा करती ये आंखें ।
तुझी से छुप कर, तुझी को पढ़ती ये आंखें ।
आजकल तुझसे फुर्सत नहीं पाती मेरी आंखें ।
ना जाने क्या चाहतीं मेरी आंखें ।

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17 NOV 2021 AT 1:06

नज़रों ने नज़रों से इजहार मॉंगा हैं।
जैसे फूलों ने मौसम से बाहर मॉंगा हैं।
सावन की घटा की दहाड़ सुनो,
प्यासी पड़ी धरती की पुकार सुनो,
दिल के बगीचे मे कही तो प्यार का फूल खिला है।
जैसे किसी सीप मे चम-चमता मोती छिपा है।
जीत नही मन ने तो बस हार ही माँगा है।
नज़रों ने नज़रों से इजहार मॉंगा हैं।
रेत बनती हूँ मैं तुम हवा बनो,
दरिया बनती हूँ मैं तुम किनारा बनो,
तारो ने भी रात को प्रकाश दिया है।
जैसे लैला ने मजनू का साथ दिया है।
एक बार ही सही सच्चा इकरार माँगा है।
नज़रों ने नज़रों से इजहार मॉंगा हैं।

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14 AUG 2021 AT 2:01

गुजर चुकी कुछ यादो को बुलाना चाहती हूँ
कुछ बात थी दिल में, जो मैं बताना चाहती हूँ।
धीमे से आया एक अंजान राही
नींदे ले गया जो सारी की सारी
उसके आँखो में थी चमक भारी
इसलिए तो मैं भी थी दिल हारी
मन के जुगनुओ को फिर से जगाना चाहती हुँ
कुछ बात थी दिल में, जो मैं बताना चाहती हुँ।
हवा का झरोखा सा था वो मंजर
उड़ गया जीवन से बनकर बवंडर
दिल हो गया फिर एक बार बंजर
बह गया फिर उम्मीद का समंदर
कह न सकी जो बात उसे जताना चाहती हूँ
यही बात थी दिल मे, जो मैं उसे बताना चाहती हूँ.....

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24 FEB 2021 AT 1:27

गलतियाँ हो जाती है, कई बार ।
पर होता है बदलाव हर बार......
जरूरी नही कि गलतियाँ सिर्फ दगा दे जाये,
क्या पता कि जिंदगी की माला मे तुम्हारा नाम पिरो जाये ।
झूठ-सच का तब पता न होता,
पर बाद मे विवेक के सागर मे अथाह जल होता ।
कहते है, इंसान अपनी गलतियों से ही सिखाता है,
क्योकी तुफान के बाद पक्षी अपना घोसला फिर से बुनता है ।
तो गलतियाँ हो जाती है, कई बार ।
पर मत होना निराश , क्योकि होता है बदलाव हर बार.....

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6 FEB 2021 AT 1:15

मन लग गया है मेरा, फिर कुछ पाने में,
अब ख्वाबों की कश्ती लगेगी मंजिल के किनारे में।
नहरों की ऊंच नीच नहीं रोक पाएंगी रास्ता,
हर सफर में है कुछ खास दोस्तो से वास्ता।
यूं तो मुश्किलों के तूफान कम नहीं,
मगर हम भी गोताखोरों से कम नहीं।
पा लेंगे सफलता का मोती, नसीब में जो लिखा,
कुछ दिन की जिन्दगी, किसी से क्या गिला शिकवा।
तो आओ थामो मेरा हाथ,
साथ चले न देखें पीछे मुड़कर आज।
क्योंकि, मन लग गया है मेरा फिर कुछ पाने में,
अब ख्वाबों की कश्ती लगेगी मंजिल के किनारे में।

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