शोहरत की इमारत पर गुरुर से झाँकने वाले यह नहीं जानते की, हम जमीन पर सही मगर! उन्हें हम हमेशा नज़रें उठाकर देखते हैं, देखने के लिए नजरें तो वो ही झुकाया करते हैं|
तेरे वादे कि तेरे प्यार की मोहताज नहीं यह कहानी किसी किरदार की मोहताज नही खाली काशकोल पर आई हुई फिरती है यह फकीरी किसी दस्तार की मोहताज नहीं लोग होठों पर सजाए हुए फिरते हैं मुझे मेरी शोहरत किसी अखबार की मोहताज नहीं इसे तूफानी किनारे से लगा सकता है मेरी किश्ती किसी पतवार की मोहताज नहीं मैंने मुल्कों की तरह लोगों के दिल जीते हैं ये हुकूमत किसी तलवार की मोहताज नहीं!!!
🍇🍎🎀...✍️ न मालूम हुआ सोहरत भी कभी थी साथ में मेरे। फिरता था खोज में, गलियों में तब "शाम सबेरे"। 🎀🍇🐾...✍️ बतियाते जनों से "मेल" हुई तो मुझे लोग थे घेरे। उन्हें प्यार था हमसे आज मिले भरसक बहुतेरे।
थोड़ी दौलत ,थोड़ी सोहरत क्या कमा ली तुमने अपनी इंसानियत खुद मिट्टी में मिला ली तुमने! गिरेगा जरुर एक दिन तेरे इस गुमान का घरौंदा होगा अफसोस चीज कितनी कीमती गंवा दी तुमने ! #Nishkarsh_Says