पथिक   (पथिक)
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Joined 14 February 2019


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Joined 14 February 2019
1 MAY AT 22:51

22 22 22 22 22 2
नोटों पे तस्वीर तिरी छपवा दूंगा
गर मेरी सरकार कभी बन जाएगी

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1 MAY AT 22:50

22 22 22 22 22 2
नोटों पे तस्वीर तिरी छपवा दूंगा
गर मेरी सरकार कभी बन जाएगी

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1 MAY AT 22:49

22 22 22 22 22 2
नोटों पे तस्वीर तिरी छपवा दूंगा
गर मेरी सरकार कभी बन जाएगी

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1 MAY AT 22:46

22 22 22 22 22 2
नोटों पे तस्वीर तिरी छपवा दूंगा
गर मेरी सरकार कभी बन जाएगी

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19 APR AT 18:18

22 22 22 2
मैं तेरा हिस्सा होता
काश तेरा झुमका होता

वो सब भी सुन लेता मैं
तुमने जो न कहा होता

मुझे सहेजे रखती तुम
ताहिर सा तोहफा होता

क्या  सुनना तुमको भाये
सुन सब मैं भी रहा होता

तुमसे पहले मैं सुनता
गर तेरा  किस्सा  होता

तुम मुझको ढूंढा करती
भूल से जो भूला होता

बड़े प्यार से सुलझाती
ज़ब बालों में उलझा होता

इतनी तो क़ीमत होती
अलमीरे में रक्खा होता

काश तेरा झुमका होता.....
-पथिक

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2 APR AT 18:26

22 22 22 22 22 2
गर तुम मिल जाते,मुक़म्मल हो सकता था
मगर ये भी है मैं पागल हो सकता था

तुमने समझा मुझको काँटा आँखों का
कोशिश करते तो काजल हो सकता था

इश्क़ मिरा पहना नहीं तुमने वरना
तिरी पाँव का मैं पायल हो सकता था

लौट के आने का झूठा वादा कर लेते
इंतिजार में तेरी मैं बादल हो सकता था

चूड़ी गली में आती हो गर पता होता
तेरी खातिर मैं गाज़ल हो सकता था
- पथिक
गाजल - चूड़ी बेचने वाला

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30 MAR AT 15:40

122  122  122  122
गयी रात दिल को बहुत आजमाया
न तुम याद आये न तुमको भुलाया

न आवाज दी ना ही तुमने बुलाया
मिरे साथ चलता रहा मेरा साया

बढ़ी धड़कनें औ' जुबां लड़खड़ाई
कि ज़ब भी जहां भी तिरा नाम आया

ये धागा जुड़ा है बता तुझसे कैसा
न अपना हुआ औ' तू ना ही पराया

मिरे वास्ते न कभी मुझको पूछा
जरूरत लगी मैं तभी याद आया

मैं ख्वाबों को हकीकत बनाने लगा था
कि तुमने हकीकत को सपना बनाया

ग़ज़ल कहके तुमने बताओ 'पथिक' क्यूँ
ये गुज़रे दिनों का ही किस्सा सुनाया
- पथिक

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29 MAR AT 2:36

22 22 22 22
हाल मिरा तुम पूछ रही हो
मैं अच्छा हूँ  तुम कैसी हो?

इतने दिन के बाद मिली हो
किन ख़्वाबों में रमी हुई हो

आँखें   तेरी    बता  रही  हैं
जैसे सब कुछ ठीक नहीं हो

जाओ तुमको माफ़ किया मैं
मुझसे  इतना  क्यू  डरती हो

आँखें फेर लो ,डूब  न  जाऊं
तुम दरिया से भी  गहरी  हो

मैं  तुमको  भूल  न  पाऊँगा
तुम लड़की एक सुनहरी  हो

कितनो  के दिल टूटें हैं  तब
मेरे  दिल  में  तुम  ठहरी हो
- पथिक

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28 MAR AT 19:24

22 22 22 22 22 22 22
हमसे मत पूछो आखिर दुन्या कैसी लगती है
सय्यादों का जोर यहाँ, जंगल जैसी लगती है

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27 MAR AT 16:44

22 22 22 22
हालत इश्क़ में देख के मेरी
मुझसे ज़ियादा  माँ  रोई थी

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