किसे पता है जिंदगी क्या गुल खिलाएगी,
आज हँसा रही कल जाने कितना रुलायेगी।
पल दो पल की उड़ान है उड़ लो पंछियों,
क्या पता कब हमारे पंख कतर ले जयेगी।।-
ज़िन्दगी भी बड़ी अलबेली होती है,
समझ आये तो सहेली,ना आये तो पहेली होती है।।-
मिलन की रस्में भी क्या खूब धा गयी,
पहले तपाया धरा को फिर बरसात हो गयी।।
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वक़्त गर चाहे तो आग को भी दरिया का पानी बना दे,
किसी की ख़ुशियों को किसी की बोझिल जिम्मेदारियाँ बना दे।।-
जब जब भी ठोकर लगती है,
मैं पत्थर सी हो जाती हूँ।
अंदर ही अंदर खूब चीखती चिल्लाती हूँ,
बाहर चुप मौन सी हो जाती हूँ।
नारी हूँ मैं बेचारी दुखियारी ही रह जाती हूँ।
डगर डगर लाश मैं अपनी ही बिछाती हूँ,
खुद के मज़ार पर खुद ही आँसू बहती हूँ।
ना आगे ही कुछ ना पाछे ही कुछ बस
आज आज के नाम की तसल्ली मन को दिलाती हूँ।
नारी हूँ मैं बेचारी दुखियारी ही रह जाती हूँ।
आँचल अपने फटे ही सही पर,
छाँव तुमको दिए जाती हूँ।
खुद के आँखियो को जगा जग कर
नींद भी तुमपर लूटती हूँ।
प्यार की चाहत में सब कुछ भूल जाती हूँ,
तड़प होती है एक उदासी भी जब जब
पहचान से मैं बस एक नारी ही रह जाती हूँ।
नारी हूँ मैं बेचारी दुखियारी ही रह जाती हूँ।।
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जानते हो!
दिल रातों को रोता बहुत है ।
अपनी काया पर नही ,
अपनी किस्मत पर भी नही ।
लड़की होना उसी की जिंदगी पर सितम ढाता बहुत है ।
उसकी जिंदगी पर सितम ढाता बहुत है ।।-
आज कल वो भी घर रहने की हिदायत दिया करते हैं,
जो कल को मुझे निकम्मा समझा करते थे।।-
जो किसी की जिंदगी में आग लगा के मुस्कुरा लिया करते है ,
नादान समझते नही
उनका भविष्य सुलग रहा।-