बेशर्मी भी आज मुस्कान पर शर्मा गई,
दर्द लिए दिल में वो होंठों से मुस्कुरा गई।।-
Harshita Yadav
(हर्षिता की कलम)
1.0k Followers · 787 Following
🏣 deoria, UP
Joined 1 November 2017
29 JUL AT 20:49
18 JUL AT 20:44
वक़्त की रंजिशों में हम फसते चले गए,
बुनने चले थे ख्वाब और उम्मीदें देहलीज़ से आकर लौट गई।।-
13 JUL AT 13:24
हसरतें- ए- दीदार का गुनाह हम करते रह गए,
वो आए और शब की सजा सुना के चल दिए।।
-
1 JUL AT 11:10
अपने गुरूर में हम इतने मगरुर हो गए।
जलाने चले थे तुम्हारा घर,
और खुद का मकान जला बैठे।।
-
26 JUN AT 20:04
हाय! ये सावन भी क्या ग़ज़ब ढा गया,
सुलगते रहे हम और ये धारा भीगा गया।।-
26 JUN AT 10:37
शायद! वक्त कोई चाल चल गया,
भीतर कुछ खिलते खिलते रह गया।
बनना था जिन्हें सदाबहार सा,
वो बस रातरानी बन के रह गया।।
-
7 JUN 2020 AT 9:50
किसे पता है जिंदगी क्या गुल खिलाएगी,
आज हँसा रही कल जाने कितना रुलायेगी।
पल दो पल की उड़ान है उड़ लो पंछियों,
क्या पता कब हमारे पंख कतर ले जयेगी।।-
23 MAY 2020 AT 10:34
ज़िन्दगी भी बड़ी अलबेली होती है,
समझ आये तो सहेली,ना आये तो पहेली होती है।।-