देवेंद्र उपाध्याय   (देवेंद्र उपाध्याय)
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Joined 10 January 2018


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Joined 10 January 2018

वर्षा की बूँदों सा मधुर है तुम्हारा साथ,
समीर की साँसों में बसी वो हर बात..
सात फेरों से शुरू हुई थी जो कहानी
देखो बन गई जीवन की सबसे प्यारी रवानी..

HAPPY WEDDING ANNIVERSARY ❣️

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अनीता की हँसी में चाँदनी की चमक
मिहिर की आँखों में गहराई की झलक..
दोनों का साथ जैसे सावन की बहार
संग चले जीवन भर जैसे नदिया की हो धार..

सूरज की किरणों सा उजला है प्यार
बरसे जो मन पर बन जाए श्रृंगार..
अनीता की बातें सुमधुर सा गीत
मिहिर का संग जैसे राग और प्रीत..

अनंत गगन में जैसे तारे की चमके
वैसे ही प्रेम का दीपक जलता रहे..
अनीता और मिहिर साथ यूँ ही रहे
सदियों तलक प्रेम गीत बजती रहे..

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अनीता की हँसी में चाँदनी की चमक
मिहिर की आँखों में गहराई की झलक..
दोनों का साथ जैसे सावन की बहार
संग चले जीवन भर जैसे नदिया की हो धार..

सूरज की किरणों सा उजला है प्यार
बरसे जो मन पर बन जाए श्रृंगार..
अनीता की बातें सुमधुर सा गीत
मिहिर का संग जैसे राग और प्रीत..

अनंत गगन में जैसे तारे की चमके
वैसे ही प्रेम का दीपक जलता रहे..
अनीता और मिहिर साथ यूँ ही रहे
सदियों तलक प्रेम गीत बजती रहे..

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तपा हूं सारी उम्र, घिसा हूं खुद को बहुत
तब जा कर आज ये ओहदा पाया हूं
उम्र के इस मोड पे अब ठहरना पड़ेगा
टूटे दिल से आज अलविदा कहने आया हूं...

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तपा हूं सारी उम्र, घिसा हूं खुद को बहुत
तब जा कर आज ये ओहदा पाया हूं
उम्र के इस मोड पे अब ठहरना पड़ेगा
टूटे दिल से आज अलविदा कहने आया हूं...

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मैं समझता रहा वो ना समझ बनी रही
मैं मानता रहा वो रूठ के बैठी रही
कहती है अब साथ रहना मुमकिन नहीं
अरे पगली हालात तो अब सुधरे हैं,
इतना दिन सही है कुछ दिन और सहीं...

Lots of love mere ghar ki Laxmi..

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कुछ किए बिना यूं अलविदा ना कहूंगा
नियति का दंश अब और ना सहूंगा
एक टीस रह रह कर ज़ख्म को कुरेत रही है
ऐ नाकामी रुक..अब मैं तेरा वंश डूबो कर रहूंगा।

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मेरा जिंदा रहना मुझे बोझ लगता है
डूब के मर जाऊं ऐसा मुझे रोज लगता है
जिंदा हूं तो सिर्फ मेरे मां के लिए
वरना घर का एक निवाला मुझे क्षोभ लगता है।

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आज करे सो कल कर,
कल करे सो परसों,
इसी गति में चलते रहिए
बीत जायेगा बरसों।

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देश के वीर सपूतों को सलाम लिखता हूं
जो US पे भारी पड़ जाए उसे कलाम लिखता हूं।— % &— % &

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