सहन करने की एक सीमा होती है
औऱ वो सीमा केवल "माँ" होती है-
देखते ही देखते पलक झपकते ही
मृत्यु की सीमा भी पार कर गई..,
कम्बख़त...
बहुत तेज़ दौड़ती थी यह "ज़िन्दगी"!-
सिसक रही मिट्टी पुकारती है,
धरा का ऋण तुम भी उतार दो,
सीमा के जवानों का ही काम नहीं
अपनी गलियाँ ही तुम संवार दो,
देखो गौर से घर की बेटियों को
हर बेटी को वही व्यवहार दो,
छलनी क्यों भारत माँ का आंचल
दुशासन अपने मन का मार दो,
हर गली मिलकर देश बनता है
तुम सुधरो, सारा देश सुधार दो !-
नफरतें यहां लांघ जाती है सीमा ,
मोहब्बत यहां बेड़ियों में रहती है ।-
सीमा पर सैनिक कुछ ऐसे ईद मनाते हैं
दुश्मन की गोली को सीने से लगाते हैं-
सीमा पर एक बुढ़िया को देख कर सैनिकों ने पूछा- "कौन हो तुम, यहाँ क्या कर रही हो?"
उसने कहा - " मैं भारत हूँ, सालों से तुम मेरी रक्षा कर रहे हो, आज रक्षा बंधन है, मैं तुम्हें राखी बाँधने आई हूँ।"-
काश थोड़ा-सा पुरुषार्थ देश के ठेकेदार कर लेते
बिगड़े जो हालात देश के वो थोड़े से तो सुधार लेते-
क्या फ़ायदा है बस हमलों की निंदा करके ,
कोई हुकूमत दिखाए मुर्दों को ज़िंदा करके ,
ए खुदा अगर ये लड़ाई है सरहद चक्कर में ,
तो सारी सरहदों मिटा दे हमे परिंदा करके ।-