पहले लोग आपसे आकर्षित होंगे
फिर वो आपसे मिलना चाहेंगे
आपको जानना चाहेंगे
और जब धीरे धीरे जान लेंगे
तब उनका वही आकर्षण
जलन और नफ़रत में बदल जायेंगे-
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।।नागेन्द्रहाराय त्रिलोच... read more
प्रभु मेरे बड़े भोले हैं
और तो और
वैरागी की परिभाषा भी वही हैं
उन्हें क्या फर्क पड़ता है
कोई उनकी पूजा अर्चना करे न करे
प्रभु दुलारे प्यारे
वो तो सबके ठहरे
हर भाव में एक समान ही रहते
कोई पूजा कर उन्हें जीत लेता है
तो कोई दिल से पुकार कर
उन्हें प्रसन्न कर लेता है-
कैसे कहूँ की दिल जला की नहीं
लब बेचैन और थरथराया की नहीं
वो परवाना लुटता रहा टूटता रहा
और क्या कहूँ उस भरी बारिश में
आवाज़ भी मनो खनक रही इतनी
की मुश्किल है समझ पाना कह पाना
आँखों से निकले आँसू बिलख पाया की नहीं
हलक से निकली आवाज़ कपकपाया की नहीं-
कमियां, नफ़रत की लहर तो मुझमे ही बही थी
ख़्वामखा हर बार हम दुनियाँ को कोस रहे थे-
तुझसा खूबसूरत
मुझे ना कोई लगे
नाराज़गी में तुम्हारी हँसी
जाने क्यूँ इतनी प्यारी लगे
मालूम ना था आवाज़ तुम्हारी
घर कर जाएगी मेरे दिल में
तुमसे इक दिन की भी दूरी
जाने क्यूँ मुझे सितम गढ़ लगे
मेरे लिए तुम्हारी नज़रों में
बस प्यार ही प्यार है समाया
तुम्हें खिज़ा कर मुझे प्यार जताना
सुनहरा बचपना सा लगे
देख लो ये आँखें
बस ढूँढता है तुम्हें हर ओर
तुम्हें पता है मुझे तुम्हारी
बाहों का घेरा संसार सा लगे
होती तो है इच्छा की
मैं भी तुम्हें इक भेंट दूँ पर
तुम्हारी मुस्कान में जीना
मेरी ज़िन्दगी मुझे उपहार सा लगे-
जुगनू सी चमकती है
उसकी वो मासूम निगाहें
तारों सी प्यारी टिमटिमाती हैं
उसकी दो मासूम निगाहें
बड़ा सुकून है सुरीली
तुतलाते उस भोली सी सूर में
राधे राधे चाचू कहती है जब
उसकी दो मासूम निगाहें
नन्हें कदमों से यहाँ वहाँ है फिरती
गिर जाए तो आफत है
मुस्कुराए तो दिल जीत लेती
उसकी दो मासूम निगाहें
बिटिया प्यारी दादा-दादी की दुलारी
सोए तो लगे घर जग सुना
जग जाए तो दीवाली मानती
उसकी दो मासूम निगाहें-
यह समय है विराम का, उदास मन के विश्राम का
अब बैठ गया है थक हार कर, कह चला ये अलविदा-
होती है तन्हा ये रातें हर रोज़
तभी घनघोर अंधेरा ओढ़े रहती है
ना देखे ना ही जाने कोई बस
खुदके ग़म में सिमट कर रहती है-
जिस पल हम उदास होते हैं
तब पलकों से अश्रु छलक जाते हैं
और जिस घड़ी दिल सिसक रहा होता है
मानो प्रभु हमारी पीड़ा सह रहे होते हैं-