Pramar ❤   (Amar)
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Joined 25 December 2018


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Joined 25 December 2018
17 OCT 2021 AT 20:17

उसने कहा
बरसात बहोत पसंद है मुझे
मैंने कहा
हाँ देखा है तरसती आँखों में

उसने कहा
शिकायतें कई हैं तुमसे
मैंने कहा
सुना है तुम्हारी अनकही भोली बातों में

उसने कहा
तुम्हारी यादें रुलाती हैं मुझे
मैंने कहा
जब मिलूँ भर लेना कस कर बाहों में

उसने कहा
मुझे प्यार बहोत है तुमसे
मैंने कहा
जान निसार है तुम्हारी प्यारी बातों में

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29 SEP 2021 AT 3:26

सोच में पड़ा था
की लिखूँ क्या मैं
मैंने कलम उठा कर
इक तेरा नाम लिख दिया

जब शब्दों की माला में
शब्द कम पड़ गए मेरे
मैंने मुस्कुराता सा चेहरा देखा
और बस इक तेरा नाम लिख दिया

भीगे बादलों में मैंने
प्यारी तेरी सूरत जब देखी
मैंने बारिश में भिगोकर खुशियाँ
उंगलियां फेर तेरा नाम लिख दिया

खोया रहा भोली आँखों में तेरी
और नींद भी मेरी हवा हुई जब
तब लिखते लिखते मैंने
हाँ बस इक तेरा नाम लिख दिया

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8 SEP 2021 AT 3:00

क्या ख़बर है
ना खबर है अब खुद की,
जो मिला थोड़ा सुकून है।

बेताब ज़िन्दगी है
बड़ी मश्गुल ये सफ़र सुहानी,
हाँ मिला अब थोड़ा सुकून है।

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9 MAY 2021 AT 11:23

तुम दुलारे
हर नयन में बसे
भोले हृदय हो तुम
मेरे हर धड़कन में तुम

परिभाषा हो
तुम सुंदरता की
मेरी मुस्कुराती माँ हो तुम
प्यारी माँ की आँखों में तुम

स्नेह तुम्हारी
हर बात में है
पिता का डांट फटकार हो तुम
पुचकार प्यार दुलार में तुम

कोमल हृदय
दया की छवि तुम्हारी
सागर सा गहरा प्रेम हो तुम
ममता की आँचल मेरी माँ हो तुम

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7 MAY 2021 AT 15:59

सुनहरा हुआ है आज आसमा
कोई रंग अब इसमे क्या ही भरे

राग सुरीली बड़ी मीठी है आज
कोई बातें बनाए तो भी क्या ही करे

लिपट कर देख लो उस बड़े नीले चादर में
ये कोहरे सताये फिर अब क्या ही करे

बेचैन वक़्त भी थम गई है देखो
दिल मुसकूराए मचल जाए तो अब क्या ही करे

ओढ लिया है आज सारा गगन फ़िर मैंने
ये जग भुल जाए तो भी क्या ही करे

ना फुर्सत है अब ग़म की कह दो
हँसी ख़ुशी जीवन बीत जाए तो फिर क्या ही करे

बड़ा रख तू दिल ये अपना
मुस्कुरा कर नज़रें झुकाए तो फ़िर क्या ही करे

दिल बहला कर जी लो प्यारे
जग सताये रुलाए तो भी क्या ही करे

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3 MAY 2021 AT 20:12

रोज़ाना!
रूख तो बदला करती हैं तारें
कभी!
मौसमी हाल-ए-बयाँ भी पूछा करो

सौ सौ बार!
दिल-ए-चाँद में हरक़तें होती हैं
गुरूर गुस्से में!
बेचैन बादलों से तबियत भी पूछ लिया करो

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8 MAR 2021 AT 7:32

एक
तेरी शरण में
हैं सब सुख मिले
और कोई जगह
मुझे रास ना आया

जबसे
तूने हाथ थामा
मुझे पहचान है मिली
तेरे नाम से हरसू
मुख मुस्कान है आया

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7 MAR 2021 AT 22:21

अब तो बस,
सो जाना है इसे।
की मुलाज़िम है!
अब बहुत रतजगा हो गए।

मन के,
थक चुके हैं बहुत।
रूठना लाज़मी है!
की नींद भी अब थक गए।

कतरा कतरा पिरोया,
है अरमानों को पसीने से।
प्यास बहुत है!
आ आगे बढ़ चले टूटे अरमा ये कह गए।

हाँ हँसते हँसते,
चुप हो जाना है इक दिन।
की खबर मिली है!
ये रात भी अब जागते जागते सो गए।

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7 MAR 2021 AT 20:03

about cursed feelings,
her fear of fake and liars.

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7 MAR 2021 AT 19:56

Meditation & Self-love

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