जब आँखों से शब्दों का सहवास होता है तो मन से मन बँध जाता है.
-
गर लम्स हो तेरी रूह से, तो ख़ुद को मुकम्मल करूंगा,
वादा-ए-मोहब्बत है कसम से, तेरे संग कब्र तब चलूंगा!!-
शब्दांचा श्वास माझ्या, तुझा भास आहे,
कवितेचा आत्मा माझ्या, तुझा सहवास आहे.
यमक बाजूला केलस की कळेल तुला,
तुझ्या माझ्या प्रत्येक आठवणींचा प्रवास आहे.-
पाकर तेरा लम्स दिल
अब संभलने लगा है,
आए जो तुम नज़र में हर
मंज़र ही निखरने लगा है,-
हळव्या मनाच्या लोकांचा सहवास व आठवणी
सतत झुळझुळ वाहणाऱ्या वाऱ्याप्रमाणे असतात .
डोळ्यांना दिसत नाही
पण ....!
हळुवारपणे मनाला सतत स्पर्श करत राहतात .-
तेरा एहसास -ए -लम्स मुझे झकझोर जाता है
तू तो आता नहीं और तेरा एहसास नहीं जाता है
बेखुदी सी छाई रहती है, अब तो हर पल हर पहर
क्या इब्तिदा-ए-इश्क़ आशिकों को ऐसे तड़पाता है
चैन सुकूँ और दिल सब कुछ हार बैठे सनम तुझ पे
अब तो ये दिल तुझे खोने के ख्याल से डर जाता है
आज भी याद है हमें पहला लम्स और लरज़ते लब
भुले भी कैसे याद कर ,जिस्म अब भी सिहर जाता है-
अपनी नीमशी नज़रे झुका लिजिए अभी
इन्हे नहीं पता लम्स कहा है जा गिरे
तुम्हें भी है पता हम कुछ कहेंगे भी नहीं
सितम मेरे हुज़ूर थोड़ा कम कीजिए अभी-
हक्क नसतात तरीही जीव जडतात... एकमेकांच्या सहवासात....
शब्दच असतात जे आधार देतात
एकमेकांच्या सहवासात...-
उन के मख़मली लम्स से यूं बिखर गयी,
वो रात भर मुझ को मुझ मे समेटते रहे!!
ان کے مخملی لمس سے یوں بکھر گئی،
وہ رات بھر مجھ کو مجھ میں سمیٹتے رہے !!-