अब अपनी लेखनी को यहीं विराम देते हैं अपनी कलम को थोड़ा सा आराम देते हैं
दोस्तों आपका और हमारा सफर यहीं खत्म नहीं हुआ है बल्कि एक नए सफर की ओर कदम और बढ़ाने हैं । आप लोगों के प्रोत्साहन और स्नेह के लिए हम जितना भी आभार व्यक्त करें वह तो कम ही होगा फिर भी आप लोग का अभिनंदन ढेरों आभार ।— % &
चांद धरती पर उतर आया है आहिस्ता आहिस्ता........ पानी की लहरों से अश्वेत कुर्ते पर छींटे उड़ाता है आहिस्ता आहिस्ता सरकती रात को अपनी जुल्फों से सहलाता है आहिस्ता आहिस्ता जिसका न जाने कब से था इंतजार मुझको हां वही चुपके से मेरे कानों में कह जाता है आहिस्ता आहिस्ता.......
ऐ ज़िंदगी हम तुझे माफ करते हैं बहुत खताएं है की ....... फिर भी अपना दिल साफ करते हैं *** माना थोड़े हठी, क्रूर, बेरहम है ज़रा से मनमाने ,फितरत ए मरहम हैं दाल में नमक और चाय में चीनी जितना पाप तो सभी करते हैं हम फिर भी अपना दिल साफ करते हैं क्योंकि ...... ऐ जिंदगी तुझसे बहुत प्यार करते हैं ।