जिंदगी से भले निकाल दो पर यादों में हम आ ही जाया करेंगे
कुछ किस्से पुराने ,कुछ नए नगमे सुना, तुम्हें हंसा जाया करेंगे
यूं तो कोई शौक नहीं हमें किसी के बिन बुलाए मेहमान बनने का
फिर भी बतौर हमनवां जब भी बेनूर होने लगेगी रोनक_ए_ महफ़िल तुम्हारी
अपनी शायरियों से उसे सजा जाया करेंगे-
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यहाँ तक आने के लिए धन्यवाद् आ गए हैं तो मेरा यू... read more
हमारा ना पूछो गम नहीं पर अपना हाल बता देना
पिछली दफ़ा कब याद किया था वह साल बता देना
हां गर कोई हमारे बारे में कुछ पूछ भी ले आपसे
तो गर्दिश में हैं हमारे सितारों की चाल बता देना-
इससे पहले कि सांस लेना और मुश्किल हो जाए
क्यों न इस बार हुजूरे हुक्म की ज़रा तामील हो जाए
दूरियां दिल कि नहीं देह की बना भी लो अब यारों
इससे पहले कि जिंदगी यह मौत में तब्दील हो जाए-
मानते हैं हम के, एक गुल से कभी गुलशन नहीं होता
ए रवि त्याग दे घमंड तू बिन दिप घर रोशन नहीं होता
सादगी कुछ दिन की भी यहां उम्र भर पर भारी है दोस्त
क्योंकि कागज के फूलों से कभी महकता चिलमन नहीं होता
इक मौत के सिवा इस जहां में शाश्वत कुछ भी नहीं है यारो
ना पाल नादान ये भ्रम तू कि बुलंदियों का कभी पतन होता
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हम भेड़ चाल चल कर खुद का मान नहीं घटाते
हिंदुस्तानी है हम हिंदुस्तान की शान नहीं घटाते
अपनाते हैं हम बेशक हर सभ्यता और संस्कृति को
पर पूरा उनके होकर अपना स्वाभिमान नहीं मिटाते-
बेशक आज नया साल मनाओ ,खुशी से झूमो नाचो गाओ
पर पाश्चात्य सभ्यता के वशीभूत हो संस्कृति अपनी ना भूलाओ
केक मर्डर कर त्योहार मनाओ, क्रीम को फेस पैक बनाओ
पर भारत की त्योहारों की जान खीर, हलवे कोई यूं ना भूलाओ
बेशक आज नया साल मनाओ खुशी से झूम नाचो गाओ
पटाखे फोड़ो हर्ज नहीं है, लाखों को तुम धुएं में उड़ा ओ
पर अंधियारा जीवन से हटाने सद्भावना का एक दीप जलाओ
बेशक आज नया साल मनाओ खुशी से झूम नाचो गाओ-
कहां गए वो सारे दोस्त पुराने
पास थे जिनके खुशियों के खजाने
हंसी की जो एकमात्र वजह थे
अब कैसे मुस्कुरा पाएंगे ना जाने
दुख में वह सब देते थे दिलासा
सांत्वना से उनकी मिलती थी आशा
सच बिन उनके कुछ भी नहीं मैं
गुरु बन इस पत्थर को था तराशा
इस उजड़े चमन की बहार थे वो
मेरी कलम के शब्दों का श्रृंगार थे वो
Yq par mile yahi bichad gaye
छोड़ गए हमें बीच मझधार थे वो
क्या बोर हो गए हो दोस्ती से हमारी
बात क्या बंद हुई तोड़ दी यारी
याद उन्हें आज दिला दे बात यहां
प्रिया को भी है याद दिलाने की बीमारी-
ए खुदा तेरे दिए इस मानव जन्म का शुक्रिया
जख्म दिए यहां सबने ,तेरे मरहम का शुक्रिया
औकात कहां थी, इस दुनिया की भीड़ में मेरी
नवाजा जो रहमतों से तूने उस करम का शुक्रिया
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ख़ामोशी जो समझो तो आवाज़ की जरूरत कहां है
सफर खत्म ही ना हो तो आगाज की जरूरत कहां है
समझने वाले तो दिल की बात यूँ ही समझ लिया करते हैं
दोस्ती जब निस्वार्थ हो तो अल्फाज की जरूरत कहां है-
जख्म अभी भी जिंदा है बस निशान नजर नहीं आते
मरते रहेंगे रोज जब तक आखिर बार मर नहीं जाते
अब फिर से सवरने की उम्मीद छोड़ दें ए नादान तू
कुचलते रहेंगे लोग यहाँ ,जब तक पूरे बिखर नहीं जाते
अब आदत डाल भी लो हर रोज जाम ए जहर पीने की
क्योंकि मुस्कान के पेबंद से छुप लबों के जहर नहीं जाते
दोष भी अब क्या दे उन्हें जो आदत से लाचार हो
बसर नहीं होता उनका जब तक वह भी कहर नहीं ढाते
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