रोली 🍃   (अभिलाषा)
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Joined 16 May 2017


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Joined 16 May 2017
17 HOURS AGO

और तुझ पर लिखते लिखते
मेरी डायरी भर गयी

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17 HOURS AGO

मुझे मोहब्बत नहीं
ऐसी इजरत चाहिए

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18 HOURS AGO

कभी-कभी हम अपनी पीड़ा में इतने उलझ जाते हैं कि हमें उसकी भी चीख सुनाई नहीं देती जो हमारे ही कंधे पर सिसकियाँ ले रहा होता है

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29 APR AT 16:56

हीरे जैसी बातें तेरी
तेरा इश्क़ मेरा कंकन
एक बार जो देखे नज़र भर
हो जाये कंचन मन

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27 APR AT 13:58

अपनी आत्मा पर कोई गिल्ट लिए बिना हर रात चैन की नींद सोना ही शाँति है

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27 APR AT 11:58

हर कोई किसी दूसरे का प्यार है
ये बात मानने को कहाँ कोई तैयार है

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24 APR AT 14:13

हम भावनात्मक रुप से जिन्हें अपने साथ खड़े होने की अनुमति देते हैं, उन सभी का अस्तित्व स्वीकार कर चुके होते हैं.

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24 APR AT 13:52

प्रेम ले आया
मुझको वहाँ, जहाँ
लगा था मेला

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24 APR AT 11:17

जो मुर्शिदाबाद पर लिखते हैं
उन्होंने कभी मणिपुर का 'म' तक नहीं पढ़ा

और इल्ज़ाम देते हैं
सेलेक्टिव नरेटिव का

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24 APR AT 11:02

The way you think
is the way
you make others think.

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