और तुझ पर लिखते लिखते
मेरी डायरी भर गयी-
रोली 🍃
(अभिलाषा)
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🥀अपने टुकड़ों से तेरे टुकड़ों को जोड़ दूँगा
चल तुझे साल के आखिरी छोर तक छोड़ दूँगा🥀
@ AAG
फ... read more
चल तुझे साल के आखिरी छोर तक छोड़ दूँगा🥀
@ AAG
फ... read more
Joined 16 May 2017
18 HOURS AGO
कभी-कभी हम अपनी पीड़ा में इतने उलझ जाते हैं कि हमें उसकी भी चीख सुनाई नहीं देती जो हमारे ही कंधे पर सिसकियाँ ले रहा होता है
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29 APR AT 16:56
हीरे जैसी बातें तेरी
तेरा इश्क़ मेरा कंकन
एक बार जो देखे नज़र भर
हो जाये कंचन मन-
24 APR AT 14:13
हम भावनात्मक रुप से जिन्हें अपने साथ खड़े होने की अनुमति देते हैं, उन सभी का अस्तित्व स्वीकार कर चुके होते हैं.
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24 APR AT 11:17
जो मुर्शिदाबाद पर लिखते हैं
उन्होंने कभी मणिपुर का 'म' तक नहीं पढ़ा
और इल्ज़ाम देते हैं
सेलेक्टिव नरेटिव का-