sheenam parveen   (Sheenam parveen)
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Joined 3 April 2019


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17 HOURS AGO

दिल में धड़का है वो धड़कन की रवानी बन कर,
ख़ुश्क सहरा थी मैं वो‌ बरसा है पानी बन कर

मुख़्तसर किस्सा बना के रखा था जिसने मुझे,
मुझमें रहता है मुकम्मल सी कहानी बन कर

दिन तसव्वुर में ढले ख़्वाब से महके रातें,
मुझ में मौजूद है तू खुशबू सुहानी बन कर

हैं मोहब्बत में लिखी मैंने तेरे नाम ग़ज़ल,
साथ रहती है जो ताउम्र निशानी बन कर

वक़्त-ए-आख़िर मैं यूं बैचैन थी तेरी ख़ातिर,
रूह में बस रहा तू दिलबर-ए-जानी बन कर

वो जो पूरा हो किसे याद रहेगा बरसो,
तुझ से कामिल है मेरा इश्क़ मआनी बन कर

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18 OCT AT 19:25

हम अपने इश्क की कुछ यूं मिसाल देते हैं,
ग़ज़ल में उस की ही तस्वीर ढाल देते हैं।

सुकून देता है समझाने का सलीका मुझे,
सो लाके रोज़ उसे उलझे सवाल देते हैं।

झलक जो देखी तो होशो-हवास खोने लगे,
कुछ ऐसे लोग हैं हुस्न-ओ-जमाल देते हैं।

बिखेर देती है मुस्कान रौशनी हर-सू,
और उसके लफ़्ज़ भी रौशन ख़याल देते हैं।

भुलाए बैठे हैं चाहत में उसकी हम सब कुछ,
कि गुज़रे पल हमें शीनम मलाल देते हैं।

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16 OCT AT 23:25

मैं अपने इश्क की कुछ यूं मिसाल देती हूं,
ग़ज़ल में उस की, ही तस्वीर ढाल देती हूं।


میں اپنے عشق کی کچھ یوں مثال دیتی ہوں
غزل میں اس کی ہی تصویر ڈھال دیتی ہوں

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13 OCT AT 8:37

दिल की राहत के लिये इतना किया आख़िर
अब दुआ में रहता है वो‌ भूलने की ख़ातिर






دل کی راحت کے لیے اتنا کیا آخر
اب دعا میں رہتا ہے وہ بھولنے کی خاطر

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2 OCT AT 18:26

तुम न आए तो चराग़ों से उजाले जाएंगे
रौशनी आँखों की हम कब तक संभाले जाएंगे

ख़ुश नुमा हो जाएगा उनके तसव्वुर से ये दिन
नींद में अब ख़्वाब भी उनके ही डाले जाएंगे

गर यूँ ही होता रहा दीदार का मैं मुंतज़िर
सीप जैसे आँख से मोती निकाले जाएंगे

थक गया हूँ अब सफ़र आख़िर थमेगा जाने कब
कब भरेंगे ज़ख़्म, कब पैरों से छाले जाएंगे

सीख लेंगे हम सलीक़ा गुफ़्तगू का एक दिन
उनकी महफ़िल में सजा कर लब पे ताले जाएंगे

इश्क़ में करता गया है वो दग़ाबाज़ी मगर
अब ये शीनम समझी गहरे ज़ख्म पाले जाएंगे

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22 SEP AT 23:25

मेरे दिल में लिखी थी जो मुहब्बत की कहानी है,
नज़र की आरज़ू है के नज़र से ही सुनानी है।

ये शोरोग़ुल जहां का अब मुझे अच्छा नहीं लगता,
तिरी बाहों में आ कर के मुझे दुनिया भुलानी है।

मेरे गालों पे सुर्खी है मेरे लब पे तबस्सुम है,
मेरा जो रूप बदला है ये उस की मेहरबानी है।

ये दुनिया पूछ बैठी है सबब मेरी मोहब्बत का,
बताए क्या उन्हें शीनम कि आखिर क्यूं दिवानी है।

भुलाना भी जो चाहूं तो भुला उसको नहीं पाती,
वफ़ा उस से हुई ऐसी ये रूह उसकी निशानी है।

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20 SEP AT 21:46

तन्हाई के इस आलम में दिल तुमको पुकारा करता है,
तू बेवफ़ा सही ये दिल तेरे इश्क़ में ही गुज़ारा करता है।

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11 SEP AT 20:18

जलाकर अपनी शाखें मोम सा पिघला दिया ख़ुद को,
तेरी खातिर ज़माने भर में फिर रुसवा किया ख़ुद को।

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10 SEP AT 21:34

तेरी यादों की वो तितली मुझे छूकर है बहलाती,
भले ही ग़म हो कितने भी इक मुस्कान है लाती।

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8 SEP AT 22:13

जो महका रहे थे सांसों को उलझा के सांसों से तुम,
वो सांसों की ख़ुशबू रात की सारी कहानी कह रही है।

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