मातृभूमि का मान लिए उग्र रुद्र को देखा है
हर सेनानी में इस जग ने वीरभद्र को देखा है।।
नमन तुम्हें मेरा मृत्युंजय, मर कर अमर रहे हो
वज्रघात करते अरि ने कुपित इंद्र को देखा है।।
करबद्ध प्रणाम तुम्हें मेरा, अद्भुत वीर रहे हो
शांत हृदय में अग्नि लिए तपे चंद्र को देखा है।।
देशप्रेम में प्राण दिए, अनुपम ख्याति तुम्हारी है
तुममें जग ने लिए पिनाक राघवेंद्र को देखा है।।-
मन में एक सवाल बार बार कुलाचे मार रही है।
क्या अक्साई चीन के तरह गलवान भी हमारी है।
अगर गलवान हमारी है तो फ़िर हुई शहीदी क्यों?
है जिम्मेदार कौन? सबके चेहरे पर है ख़ामोशी क्यों?
न कोई घुसा है न घुस आया है।तो फ़िर शहादत कैसे?
बार बार बयान में होती है फ़िर बदलाव क्यों?
कोई हमें भी बताएगा,हमें भी समझाएगा ये देरी क्यों?
करके सर्जिकल स्ट्राइक दुश्मनों को मार गिराया था।
पुलवामा के बदले में बालाकोट को ध्वस्त किया गया था।
क्या गालवान में हुई शहादत पर भी ऐसी ही कार्यवाही की जाएगी?
ईंट का जवाब पत्थर से देकर 56 इंच के सीने की प्रमाण मिलेगी?
या फ़िर किसी ठंडे बसते में करोड़ों रोज़गार और 15 लाख रुपए के तरह ये भी चला जाएगा।
हमारे शहीद हुए भारतीय जवानों की वीरगति को चरितार्थ किया जाएगा।
लाल लाल आँख करके दिखाने वाले आज जुबाँ से चीन का नाम तक नहीं लेते।
क्या थी मंशा इनकी विपक्ष में रहकर सिर्फ़ सत्ता में आने की लोलुपता थी।
हमने जवानों को खोया है मातृभूमि का एक इंच अब न किसी को लेने देंगे।
हम भारतीय हैं हो जैसे भी हर हाल में देश की रक्षा को सर्वोपरि मानेंगे।
झूठ का प्रचार तंत्र,काठ की हांडी बनकर इस देश में हमेशा के लिए रह जाएगा।
याद रखना सब लोग दोषी कोई भी कहीं भी हो किसी हाल में भी हो कतई नहीं बख्शा जाएगा।
सत्ता आती है जाती है सत्ता आएगी जाएगी पर मातृभूमि हम सबकी है,बूरी नज़र वालों की आँखे जाएगी।
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वीरता की ढाल
शौर्य की तलवार हूँ
कर्तव्य से भरा हुआ
सिंह विकराल हूँ
सृजन हूँ प्रलय हूँ
कर्म का कमल हूँ
धर्म का शुभ फल हूँ
मैं गर्वित रक्षकों का वंशज हूँ
मैं अभ्यंकर शिव का वंशज हूँ-
देश के लिए प्यार है तो जताया करो ,
अपनी लहू के कतरे को यू ना जाया करो ,
वीरों की वीरता पर जश्न तुम भी मनाया करो ,
उनके शहादत पर यू ना आसूँ बहाया करो ..
आओं सत-सत नमन् करे उन वीरों को 🙏🙏
जिनका विजय आज पूरे देश के काम आया हैं!!-
कहते हैं सब छंदों में रसधार गूंजती है।
प्रेम, विरह वाली ही बस झंकार गूंजती है।
लेकिन उनको पता नहीं कि मैं लिखता हूँ क्या।
मेरे छंदो में भारत की तलवार गूंजती है।।-
वीरों को जो भाता है
सीने पर लिपटकर आता है
वीरता की कहानी बताता है
तिरंगा शौर्य के रंग दें जाता है ।-
ओ मेरे आजाद ये कैसी आजादी हैं
देश विरोधी नारे है बंटवारे की ख्वाहिश हैं
जाता धर्म के झगडे है ऊँच नीच की खाई है
नमक हलाल जनता है तो नमक हराम नेता हैं
कही भुखमरी तो कही भौतिक सुखों की लड़ाई है
क्या इसलिए ही आजाद तुम ने आजादी हमे दिलाई हैं
जिनके लिए त्यागा परिवार प्राण तक तुमने था
अब तुम्हे बताते आतंकी ये वही तुम्हारे भाई है
तुम बताओ क्या तुम्हारे सपनो की आजादी पाई हैं
अब क्या बताऊँ ऐ बिस्मिल की क्या इनके दिल मे है
जाती धर्म की लड़ाई अब रोज इनकी महफ़िल में है
देखलो असफाक कितने सरफिरे अब तुम्हारे वतन में है
रँगा बसंती चोला भी अब खून से है रंग हुवा ।
न्याय ,नेता,जनता बापू जी के बन्दर हैं ।
नेता सारे केवल सत्ता के सिकंदर हैं ।
क्या यही आजादी चाही थी तुमने अपनी कुर्बानी से ।
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सफलता का अभिप्राय,
सबकुछ सही नहीं है,
विजेता के विचार का वरण,
निश्चय ही वीरता नहीं है ..!-