अमित झा   (बेचैन दिल)
2.4k Followers · 1.6k Following

read more
Joined 24 January 2020


read more
Joined 24 January 2020
21 DEC 2022 AT 20:16

इतिहास होने को चला है।
कई अच्छे बूरे यादों को समेटे चला है।
मैं नहीं जानता कि कैसे शब्दों में बयां करूं,
कैसे कैसे लम्हों को ये अपने साथ लिए चला है।

-


30 NOV 2022 AT 21:40

साँसों की बची बाक़ी लम्हें उनके नाम कर दे
दे न पाया उनके रूह तलक को भी सुकून मैं,
ऐसा कर इस गुनाह के बदले मेरा इंतकाम कर दे

-


11 JUN 2022 AT 22:18

"सोच" को "सच" में बदलने के लिए सिर्फ़ "ओ" ही आड़े आता है, और वो "ओ" है आपका:-

1. ओवर कॉन्फिडेंस का होना।
2.ऑब्सेस्ड न कर पाना।
3. ऑप्टिमिस्टिक न बन पाना।
4. ऑप्शन को तलाशते रहना।
5. ऑब्जर्व न करना।

-


30 MAY 2022 AT 6:39

दिन सलीक़े से उगा रात ठिकाने से रही
दोस्ती अपनी भी कुछ रोज़ ज़माने से रही

चंद लम्हों को ही बनती हैं मुसव्विर आँखें
ज़िंदगी रोज़ तो तस्वीर बनाने से रही

इस अँधेरे में तो ठोकर ही उजाला देगी
रात जंगल में कोई शम्अ जलाने से रही

फ़ासला चाँद बना देता है हर पत्थर को
दूर की रौशनी नज़दीक तो आने से रही

शहर में सब को कहाँ मिलती है रोने की जगह
अपनी इज़्ज़त भी यहाँ हँसने हँसाने से रही 
#निदा फ़ाज़ली

-


30 MAY 2022 AT 6:29

बीते हुए दिन ख़ुद को जब दोहराते हैं
एक से जाने हम कितने हो जाते हैं

हम भी दिल की बात कहाँ कह पाते हैं
आप भी कुछ कहते कहते रह जाते हैं

ख़ुश्बू अपने रस्ते ख़ुद तय करती है
फूल तो डाली के हो कर रह जाते हैं

रोज़ नया इक क़िस्सा कहने वाले लोग
कहते कहते ख़ुद क़िस्सा हो जाते हैं

कौन बचाएगा फिर तोड़ने वालों से
फूल अगर शाख़ों से धोखा खाते हैं
#वसीम बरेलवी

-


23 MAY 2022 AT 8:48

घर से निकले तो हो सोचा भी किधर जाओगे 
हर तरफ़ तेज़ हवाएँ हैं बिखर जाओगे 

इतना आसाँ नहीं लफ़्ज़ों पे भरोसा करना 
घर की दहलीज़ पुकारेगी जिधर जाओगे 

शाम होते ही सिमट जाएँगे सारे रस्ते 
बहते दरिया से जहाँ होगे ठहर जाओगे 

हर नए शहर में कुछ रातें कड़ी होती हैं 
छत से दीवारें जुदा होंगी तो डर जाओगे 

पहले हर चीज़ नज़र आएगी बे-मा'नी सी 
और फिर अपनी ही नज़रों से उतर जाओगे 
#निदा फ़ाज़ली

-


22 MAY 2022 AT 7:46

बुरा मत मान इतना हौसला अच्छा नहीं लगता 
ये उठते बैठते ज़िक्र-ए-वफ़ा अच्छा नहीं लगता 

जहाँ ले जाना है ले जाए आ कर एक फेरे में 
कि हर दम का तक़ाज़ा-ए-हवा अच्छा नहीं लगता 

समझ में कुछ नहीं आता समुंदर जब बुलाता है 
किसी साहिल का कोई मशवरा अच्छा नहीं लगता 

जो होना है सो दोनों जानते हैं फिर शिकायत क्या 
ये बे-मसरफ़ ख़तों का सिलसिला अच्छा नहीं लगता

अब ऐसे होने को बातें तो ऐसी रोज़ होती हैं 
कोई जो दूसरा बोले ज़रा अच्छा नहीं लगता 

हमेशा हँस नहीं सकते ये तो हम भी समझते हैं 
हर इक महफ़िल में मुँह लटका हुआ अच्छा नहीं लगता 
#आशुफ्ता चंगेजी

-


14 MAY 2022 AT 22:04

अपने मंज़िल के रास्ते में हैं दोस्त, अभी तक चलना नहीं छोड़ा है।
मानते हैं बहुत कुछ खो दिया हमने पर अभी तक हिम्मत नहीं हारा है।

-


13 MAY 2022 AT 7:18

मेरी मुश्किलें कम न कर सको तो बढ़ाया भी मत करो!
ऐ ज़िंदगी अब और भी ज्यादा सताया मत करो!!
नींद चैन है कि अब कभी भी हमको आती नहीं,
गुजारिश है कि तन्हाई के आलम में उसकी याद अब दिलाया मत करो!!!

-


12 MAY 2022 AT 13:01

सितारा-साज़ ये हम पर करम फ़रमाते रहते हैं 
अँधेरी रात में जुगनू सा कुछ चमकाते रहते हैं 

सुना है शोर से हल होंगे सारे मसअले इक दिन 
सो हम आवाज़ को आवाज़ से टकराते रहते हैं 

जहाँ में अम्न कैसे फैलता है कैसे फैलेगा 
वो सब को तीर से तलवार से समझाते रहते हैं 

ये कैसी भीड़ मेरे गिर्द है घबरा गया हूँ मैं 
तमाशा देखने वाले तो आते जाते रहते हैं 

बड़ा दिलचस्प कारोबार अब के साल चल निकला 
हवस के आईने को इश्क़ से चमकाते रहते हैं 

इसी दुनिया से दीवारें उठाना हम ने सीखा है 
हम इस दुनिया को हर दीवार से टकराते रहते हैं 
#नोमान शौक

-


Fetching अमित झा Quotes