गर प्रेम महादेव सा चाहिए,
तो इन्तज़ार भी सती सा करना होगा !
गर प्रेम श्रीकृष्ण सा चाहिए,
तो त्याग भी राधा सा करना होगा !
गर प्रेम श्रीराम सा चाहिए,
तो विश्वास भी सिया सा करना होगा !
इतना सरल कहाँ, ये प्रेम डगर
विश्वास, प्रतीक्षा और धैर्य की अग्नि से गुजरना होगा !
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