आइए, सहिष्णुता (सहनशीलता), संयम एवं वाणी की मर्यादा का महत्व समझते हैं......
-
प्रेम वाणी के द्वारा नहीं व्यक्त किया जा सकता,
यह तो हृदय का गंभीरतम् भाव हैं।-
हाँ, नफ़रत है मुझे हर उस शख्स से,
जो मुझसे मोहब्बत जताता है..!!
ये बहुत ज़ालिम दुनिया है साहिब,
यहाँ प्यार नफा नुक़सान देखकर किया जाता है..!!-
अपनी वाणी को "वीणा"
बनाकर रखें "बाण" नहीं.
क्योंकि वीणा बजेगी,तो
जीवन में संगीत होगा.
और बाण चलेंगे,तो महाभारत.
फैसला आपका है,
आपको जीवन में क्या चाहिए🙏😊-
क़लम को इंतज़ार है हमारे दिल की बातें बयां करने का।
एक दौर था जब हमको शौक़ था ख़ुद को फ़ना करने का।
वो भी क्या ख़ूबसूरत वक़्त था दिल को दरिया करने का।
इश्क़ भी एक तरीक़ा हैं मेरे दोस्त ख़ुद को जवां करने का।
सोचकर दिल ख़ुश हो जाता हैं उन बातों को जब उन दिनों।
हमारे ऊपर मानो एक शुरूर चढ़ा था उनसे निका करने का।
जब उनके सिवा उनके बिना हमने एक लम्हा सोचा न था।
एक ही तलब थी इस दिल की उनको हमनवां करने का।
उस वक़्त इस इश्क़ के मारे दिल में और कोई ख़्याल न था।
इश्क़ उनसे हर वक़्त हर पल हर लम्हा हर दफ़ा करने का।
अच्छा लगता था उनकी गली में शाम को सुबह करने का।
इश्क़ की वजह न थी, मज़ा अलग था इश्क़ बेवजह करने का।
क़लम से सोहबत हुई तो अब एक वजह है जीने की "अभि"।
वरना इश्क़ ने कोई मौक़ा नहीं छोड़ा हमको मुर्दा करने का।-
मितभाषी शब्दांची तू वाणी,
माझ्या हृदयाची तू कहाणी.
प्रेम सागरात, अमृत..पाणी,
होशील का? राजाची राणी.-
जब दो पक्षों द्वारा किसी विचार का मंथन होता है तो अमृत से पहले विष की संभावना अधिक होती है। हमें चाहिये कि उस विष को न वाणी तक आने दें न हृदय तक जाने दें, उसे कंठ में ही रोक लें।
-