और फिर एक दिन तरंगिणी - सी चंचल वो
अपने भीतर अथाह गहराई समेटे...
शांत रत्नाकर हो जाती है।
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अब वो स्त्री होना समझ गई है।
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आगंतुको का स्वागत 🙏
मैं कोई लेखिका या कवयित्री नहीं हूँ , ना ह... read more
मौन, स्थिर और परम सत्य होने के बाद भी...
'ईश्वर' तुम्हें अपने अस्तित्व को बचाने के लिए स्वयं संघर्ष सहना होगा!-
कांच की बनी चीजें बहुत खूबसूरत होती है
; लेकिन जब टूट जाती हैं तो उतनी ही खतरनाक हो जाती हैं।
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तुम मुझे कभी टूटने मत देना।-
जब मनुष्य स्वयं की मन: स्थिति के अनुसार
अपने मुखमंडल पर भाव प्रदर्शित करने मात्र भी स्वतंत्र न हो...
नि: संदेह ऐसी स्थिति मृत्यु से भी अधिक भयानक है।-
जहाँ वक़्त रुक जाए,
ज़मीं आसमां में फ़र्क ना दिखे ,
जहाँ सब कुछ शून्य हो कर भी अनंत हो...
तब भी ... उस परम् ब्रह्मांड में,
शून्य और अनंत के मध्य... 'मैं और तुम'
सदैव चिरकाल तक 'हम' रहें ।-
मार्ग सदैव सुगम नहीं मिला करते,
कुछ बाधाएं अनिवार्य है।
हमें धक्का हर बार गिरने के लिए नहीं मिलता,
कभी- कभी ये अगले कदम का संकेत हुआ करता है।
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मौन में उदासी ढूंढना सरल है,
मज़ा तो तब है जब कोई बातों में छिपी खामोशी पहचान लें।-
कदम जहां से शुरू हुए थे, वापिस वहीं आ खड़े हैं...
इस चक्र में मुझे और कुछ ना; अनुभव बेमिसाल मिला है।-
हर तरह की भावनाओं को पनाह मिली है...
अब सारे शब्द यतीम होने को हैं😔-