Sarita Mahiwal   (Saritaa Mahiwal)
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Practice alot and see the magic
Instagram ID= sarita_mahiwal
Joined 27 August 2021


Practice alot and see the magic
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5 HOURS AGO

देश की प्रगति में एक बड़ा योगदान निभाता है
वो मजदूर है साहब उसकी किस्मत में आराम कहां आता है

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5 HOURS AGO

कृपया अनुशीर्षक पढें 🙏

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30 APR AT 15:53

गुलाब देने भर से प्यार निभता नहीं, इश्क़ वो तोहफ़ा है जो हर किसी को मिलता नहीं
लाख साजिशें कर लो ये फलता नहीं, इश्क़ है रूहानी एहसास हर कोई महसूस कर सकता नहीं

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29 APR AT 19:53

दीदार-ऐ-यार के सिवा इन आंँखों को कोई प्यास नहीं
तेरे सिवा हमें इस जमाने में किसी की तलाश नहीं

तू जो इक बार साथ निभाने का वादा कर दे
खरीद सके हमें इस जमाने में ऐसी दौलत नहीं

तूने देखा ही कहां है अभी दीवानापन मेरा
मेरी तरह तुझको कोई चाहे ऐसी कोई रूह ही नहीं

बहारों का रंगीन मौसम भी पतझड़ नजर आता है मुझे
वो महफिलें वीरान है जहां तुम ही नहीं

लोग देखे होंगे तुमनें तुम्हें अपना कहने वाले
टूट जाए जो तेरी जुदाई में मिलेगा कोई मुझसा नहीं

तेरे प्यार बिना सब सूना सा लगता है मुझे मेरे साथी
तेरे आने से जो आती है बहार ऐसी कोई बहार नहीं

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28 APR AT 19:39

तेरे गुलाब की जरुरत नहीं है मुझे, तू मुझे आजमाया ना कर
इश्क़ जाँ से बढ़कर करते हैं तुझे, तू सताया ना कर

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27 APR AT 18:32

शर्म है कि इन्हें आती नहीं
नेताओं को ये भाती नहीं
आचार-संहिता लागू है
फिर भी जुबान बेकाबू है
आँखें मूंद चुनाव आयोग लेटा है
लगता चमचा इनका बन बैठा है
युवा बेरोजगारी से त्रस्त हैं
ये हिंदू-मुस्लिम में व्यस्त हैं
विदेशों में जाकर डंका बजाते हैं
जमीनी हकीकत पर पर्दा गिराते हैं
बड़ी बड़ी योजनाएं लाते हैं
जनता को मिलने से पहले खा जाते हैं
गरीबों को और गरीब बनाते हैं
अमीरों को ये गले लगाते हैं
खुद फकीर से अमीर बन जाते हैं
जमीर अपना बेचकर खा जाते हैं
शिक्षा पर ताला लगवाते हैं
सवालों से घबराते हैं
आना ना तुम इनके झांसे में
ये भाई-भाई को लड़वाते हैं
✍️सरिता महिवाल

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27 APR AT 13:42

भरी थी मांग तुमने जब मेरी सजन
कर दिया था तभी ये जीवन तुम्हें अर्पण

लाए थे जब डोली तुम मेरे आंगन
पहनाई हरी चूड़ियाँ तुमने साजन

बताओ तुम्हें भी याद है क्या वो अपना मिलन
बरसात भरी रात और पिघलते तन

वो तेरा मेरी जुल्फों को सँवारना
नजदीक आ रहे थे हमारे तन मन

वो भीगे तन और भीगे मन
बरसात में भी सुलग रहे थे बदन

बरसात भारी वो रात और तुम सजन
दिल था बेकाबू दोनों में थी तड़पन
✍️सरिता महिवाल

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26 APR AT 17:32

जिसको तलब लगी हो जिस्मफरोशी की
वो भंवरा फिर एक फूल पर कहां टिकता है
लोग बदलते हैं हर मोड़ पर साथी यहां
अब पहले की तरह रिश्ता कहां निभता है

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26 APR AT 15:56






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26 APR AT 15:47

न जाने कैसा वो जालिम हुनर रखता है
लाख छुपाऊंँ उससे तकलीफें वो मेरी आंँखें पढ़ लेता है

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