यादें
बुझे शोलों को फिर से सुलगाते हो क्यों
धुंधली पड़ी यादों से धूल हटाते हो क्यों
जख्म भरने की जो की है हमनें नाकाम कोशिश
कुरेद उन जख्मों को नासूर बनाते हो क्यों
अपनापन जताने का बड़ा ही शौक है तुम्हें
दुखती रग पर फिर हाथ लगाते हो क्यों
लेकर उदासी दिल की गहराइयों में मुस्कुराते रहे हम
तुम जरा सी मुस्कुराहट हमारी ना देख पाते हो क्यों
औरों के संग हम भी हंस रहे हैं अपने हाल पर
तुम एक्स अपना ही देख आईने में तिलमिलाते हो क्यों
जो था भगवान मेरा उसी से दूर कर दिया मुझे
और पूछते हो की हमसे नाराजगी जताते हो क्यों
✍️सरिता महिवाल-
Instagram ID= sarita_mahiwal
दुसरे की खुशी में खुश हो जाना, मुफ़लिसी में साथ निभाना
तुम से हम हो जाना, भटके साथी तो सही राह दिखाना-
यूँ लगता है फुलवारी हो तुम
खुशियों भरी क्यारी हो तुम
ईश्वर ने डाला झोली में जिसको
मेरी वो मन्नत प्यारी हो तुम
तुमसे ही सच सारे सपने
तुमसे ही सब रिश्ते अपने
जीवन सूना तुम बिन साथी
साँसों के लिए जरूरी हो तुम
तेरा मेरा रिश्ता पावन
तुम बिन सूना मेरा सावन
देखें जो संग सच होगें सपने
उन सपनों की धूरी हो तुम
तुम बिन कही ना लगता ये मन
राधा बिन जैसे वृंदावन
तुम्हारे लिये ही है ये तन मन
राधा मैं मेरे मोहन हो तुम
✍️सरिता महिवाल-
रंगमंच है ये दुनियाँ, और कठपुतली है हम
जाने कब डोर टूटे, और साँसें थम जाए
अकेला हर सख्स है, दुनियाँ की भीड़ में
अपने है बहुत, काश टूट ये भ्रम जाए
कहते हैं लोग मर जाने पर, आदमी अच्छा था
जिंदा रहने पर, ना जाने क्यों खार खायें
यही से मिली, यही खाक होनी है इक दिन ये काया
फिर ऊँच-नीच का, हे मानव तुझे क्यों अहम आए
खाली हाथ थे आये, खाली हाथ ही है जाना
कर अच्छे कर्म, क्यों बूरे कर्मो में तू समय गंवाये
बेबसी का किसी की, फायदा उठाना न तू
ना जाने समय की, मार कब पड़ जाए
✍️सरिता महिवाल-
मजबूरियां
बचपन के खेल
बहा ले गई
सोचती हूं मैं
इबादत उसकी
ही है करम
✍️सरिता महिवाल-
नानी के किस्से
ये उन दिनों की बात है, जब हम छोटे बच्चे थे
घर हमारे कच्चे थे, पर रिश्ते सारे सच्चे थे
मौसी-मामा के घरों पर हम, छुट्टियाँ बिताया करते थे
नानी के हाथों से बनी, मिठाई खाया करते थे
नानी की गोद में बैठकर, एक और कहानी सुनने की जिद करते थे
मोहल्ले-पड़ोस के घरों में भी, बेखौफ घुस जाया करते थे
ताऊ, चाचा के बच्चे भी, सगे भाई-बहन जैसे होते थे
आँख उठा कर देखें कोई तो, सब मिलकर कूट दिया करते थे
साधु संतों के पवित्र आचरणों के, किस्से सुनाए जाते थे
उनके चरणों की धूल को, मस्तक पर लगाया करते थे
पर आज समय ये कैसा आया, ये बातें किस्से-कहानी से लगते हैं
अपने ही घर में बेटी पर, अब काले साये मंडराते है
स्कूल,कॉलेज भेजने से भी, अब मांँ-बाप डरते हैं
बेटी सुरक्षित घर आ जाए, हर रोज यही दुआ मानते हैं
आज तो साधू-संत भी, सत्ता में पाये जाते हैं
अपने मंसूबे पूरे करने को, अपवित्र आचरण अपनाते हैं
किस पर विश्वास करें अब हम, ये सोच कर दिल घबराते हैं
अब तो बाप और भाई पर भी, विश्वास किया ना जाता है
आज बेटी की इज्जत को, घर में ही तार-तार किया जाता है
हाये कहां से कहां आ गए हम, यह सोच हृदय घबराता है
चलो लौट चलें नानी के समय में, जहां रिश्तों को सच्चे दिल से निभाया जाता है
✍️सरिता महिवाल-
अपनों से ही आज, जख्मों के ताल्लुकात बहुत है
समझे जिसे अपना उनमें ही, खारों की जात बहुत है
दम भरते थे जो हमेशा, अपना होने का
पता चला उनमें ही, आस्तीन के सांप बहुत है
दिल में नफरत लिए, शुभचिंतक बनता रहा जो
मीठी जुबान ऊपर से, अंदर जहर बहुत है
डराने लगा आईना भी, इल्ज़ाम किसको दे हम
फितरत ना पहचान पाने के, हम पर इल्ज़ाम बहुत है
कोई गम ना होता, अगर एतबार सिर्फ खुद पर करते
दूसरों पर भरोसा करने के, हम गुनहगार बहुत है
✍️सरिता महिवाल-
डॉक्टर नहीं वह है जीवन दाता
ईश्वर का है रूप कहलाता
कड़ी मेहनत और लंबा सफर तय कर
डॉक्टर की उपाधि है पाता
उसको हक रोने का नहीं है
दुखियों की वो आस बन जाता
इमरजेंसी जब आए कोई
भूखे पेट भी दौड़ा आता
आराम उसे कहां है भाता
तभी तो जीवन रक्षक कहलाता-
हमारे बेहतरीन कल के लिए, खूब पसीना था उन्होंने बहाया
जीवन इत्र सा यूंँ ही नहीं महका, खून, पसीना उनका है रंग लाया
जीवन के तापों से हमें, बचाया बनकर विशाल साया
अच्छे बुरे हालातों में, मजबूत दरख्त की तरह खड़ा हमेशा उनको पाया
बच्चों के भविष्य की खातिर , दिन-रात था हाड़ गलाया
खुद की परवाह न करके , रुखा सूखा खुश होकर खाया
पथ के कांटे चुन चुन कर, हमारे लिए सुगम मार्ग बनाया
हमारी छोटी-छोटी खुशियों में, वो फरिश्ता फूला ना समाया
खुद के लिए कुछ अच्छा खाना, पहनना, कभी उन्हें ना भाया
बच्चों को मनचाहा देकर, दिल का सुकून था पाया
परिवार की खुशियों की खातिर, खाक कर दी अपनी काया
खुशनसीब हूं मैं पापा, जो पिता के रूप में था आपको पाया
आज भी मेरे साथ हो, ये एहसास आपने कई बार कराया
ईश्वर से भी बढ़कर पापा, आपको है मैने पाया
✍️सरिता महिवाल-