सुनो कहकशाँ की एक सच्ची सी दास्ताँ ..
वो ख़ुद की छाया में पनाह सबको देती है.,
चाहे वो झूठे हों,
चाहे वो सच्चे हों,
चाहे बुरे या अच्छे हों..!-
..
🌻🌻
....
सुखार्थं सर्वभूतानां मताः सर्वाः प्रवृत्तयः ।
सुखं नास्ति विना धर्मं... read more
अफ़सोस मत करिए किसी के आने जाने का साहेब..
भ्रम होता है भ्रम किसी का ये कहना...,
कि तुम बिन गुज़ारा मुश्किल होगा...!-
ना चाहते हुए भी एक कली ने, काँटे से प्यार किया
आदत से मजबूर काँटे का चुभना भी स्वीकार किया
तरह-तरह से खिलती वो अपनी खुशबू बिखराने को
फिर भी हर रोज टूट कर बिखरती बस उसे पाने को
नादानियों के साथ - साथ वो अल्हड़पन भी भूल गई
धीरे-धीरे भँवरों का साथ तो छोड़ो दोस्ती भी दूर गई
अब ना चाहते हुए भी, ख़ुद को हर रोज वो खिलाती है
कली से फूल बन दूसरों के लिए वो रोज बिखर जाती है-
दुनिया की चकाचौंध से बहुत दूर है वो
हर अपने करीबी का जैसे गुरूर है वो
शिव में आस्था और विश्वास रखता है
शिव अविनाशी की भक्ति में चूर है वो
तहजीब का लहज़ा हमेशा दिखा उसमें
शायद तभी लहज़े के लिए मशहूर है वो
दुनियादारी में ज्यादा दिमाग़ नहीं लगाता
पर दोस्तों के लिए हमेशा जी हजूर है वो
मेहनत पर विश्वास रख आगे ही बढ़ता है
अपनी बारी का इंतज़ार करता सबूर है वो-
प्रतीक्षाएं भी पछताई क्षण भर भी तो आराम ना था.,
भूले तो ना थे आज भी उसे पर अब इंतज़ार ना था!-
महक सा जाता है कतरा-कतरा तेरे मुस्कुराने से!
खिल जाता है मुरझाया फूल भी तेरे छू जाने से!!
मिट्टी को सोना बनाने का हुनर खूब जानती हो!
टूटा शीशा भी हीरा नजर आया तेरे अपनाने से!!
सुना है घर करलो इक बार जिसके दिल में तुम!
फिर ना मिटती तुम्हारी छाप किसीके मिटाने से!!
मैं गर लिखना चाहूं भी तो क्या ही लिखूंगी यार!
नही कम होती सितारे की चमक झिलमिलाने से!!
बहुमूल्य आभूषण सी तुम हम सबको आ मिली!
अब क्या बताए तुमको, क्या मिला तुम्हें पाने से!!-
होने लगे गुफ्तगू तो कर-के इज़हार जाइए
कुछ तो अपने हिस्से से उन्हें सवार जाइए
गर इश्क़ है तो इश्क़ में हारना सीख लीजिए
निभाने का हो मन तो सब कुछ वार जाइए
झूठे क़स्में वादों का फ़रेब मत ही कीजियेगा
हां फ़रेब जुर्म है जुर्म हो सके तो जान जाइए
सुकून का घर बना लीजिए इश्क़ की जमी पे
फिर कुछ हसीं पल यहीं ठहर गुजार जाइए
क्या पता इंतज़ार में ही हो वो आपका अपना
तो फिर उसे कसकर गले लगा कर मार जाइए-