दुनिया की चकाचौंध से बहुत दूर है वो
हर अपने करीबी का जैसे गुरूर है वो
शिव में आस्था और विश्वास रखता है
शिव अविनाशी की भक्ति में चूर है वो
तहजीब का लहज़ा हमेशा दिखा उसमें
शायद तभी लहज़े के लिए मशहूर है वो
दुनियादारी में ज्यादा दिमाग़ नहीं लगाता
पर दोस्तों के लिए हमेशा जी हजूर है वो
मेहनत पर विश्वास रख आगे ही बढ़ता है
अपनी बारी का इंतज़ार करता सबूर है वो-
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सुखार्थं सर्वभूतानां मताः सर्वाः प्रवृत्तयः ।
सुखं नास्ति विना धर्मं... read more
प्रतीक्षाएं भी पछताई क्षण भर भी तो आराम ना था.,
भूले तो ना थे आज भी उसे पर अब इंतज़ार ना था!-
महक सा जाता है कतरा-कतरा तेरे मुस्कुराने से!
खिल जाता है मुरझाया फूल भी तेरे छू जाने से!!
मिट्टी को सोना बनाने का हुनर खूब जानती हो!
टूटा शीशा भी हीरा नजर आया तेरे अपनाने से!!
सुना है घर करलो इक बार जिसके दिल में तुम!
फिर ना मिटती तुम्हारी छाप किसीके मिटाने से!!
मैं गर लिखना चाहूं भी तो क्या ही लिखूंगी यार!
नही कम होती सितारे की चमक झिलमिलाने से!!
बहुमूल्य आभूषण सी तुम हम सबको आ मिली!
अब क्या बताए तुमको, क्या मिला तुम्हें पाने से!!-
होने लगे गुफ्तगू तो कर-के इज़हार जाइए
कुछ तो अपने हिस्से से उन्हें सवार जाइए
गर इश्क़ है तो इश्क़ में हारना सीख लीजिए
निभाने का हो मन तो सब कुछ वार जाइए
झूठे क़स्में वादों का फ़रेब मत ही कीजियेगा
हां फ़रेब जुर्म है जुर्म हो सके तो जान जाइए
सुकून का घर बना लीजिए इश्क़ की जमी पे
फिर कुछ हसीं पल यहीं ठहर गुजार जाइए
क्या पता इंतज़ार में ही हो वो आपका अपना
तो फिर उसे कसकर गले लगा कर मार जाइए-
क़ीमती चीजें सजाई गई फिर पुरानी को फेंक दिया!
सुना है ये जो कूड़े में पड़ी हैं.., कभी बेशक़ीमत थी!!-
दबे-दबे अल्फाजों में वो कुछ तो कह गए,
होश में होते हुए भी हम खामोश रह गए!-
दूर तलक नज़र नहीं आते साथ-साथ चलने वाले यहाँ,
शायद सब कुछ जान कर अंजान बनने का चलन जो है!-
कहाँ थे बताओ, क्यों हुए तुम इतना लेट
जानते हो कबसे कर रही थी तुम्हारा वेट
इंतज़ार में तुम्हारे देखो हुई सुबह से शाम
कर दिया ना तुमने पूरे दिन का मटियामेट
पुरानी बातों में उलझे रहना अब तो छोड़ो
प्लीज बढ़ो आगे करो ना खुद को अपडेट
शिकायतों का सिलसिला तो चलता रहेगा
चलो निकालो बुलेट और लगाओ हेलमेट
मुँह न फुलाओ मुझे तुमसे प्यारा ना कोई
अब मान भी जाओ नहीं तो करेंगे ट्रीटमेंट-
मैने अपनी धड़कनों को तेरे नाम किया,
तेरे इंतज़ार में सुबह को मैने शाम किया!
मेरी हर खुशी गुजरती है तुझसे हो-कर,
कहो क्यों तूने मुझे अपना गुलाम किया!
तुमसे टकराना बेवजह लगा था उस रोज,
तब न पता था मैने खुद को तमाम किया!
साथ तेरे हर लम्हा खूबसूरत लगने लगा,
जाने कब तूने मुझे चुराने का काम किया!
तुममें खो कर तुम्हें पाना सुकून देता है मुझे,
तभी तो हाल लिख दिल का सरेआम किया!-