कोई लकीर नहीं खींची
हमने अपने बीच,
शायद तभी,
कभी 'मैं', 'वो' हो जाता हूं,
कभी 'वो', 'मैं' हो जाता है।-
फसलों के ह्रास को, जेठमासे की प्यास को,
अमिया की खटास को, गन्ने की मिठास को,
खाली हाथ फ़क़ीर को, लकीर के फकीर को,
ख़्वाबों की तासीर को, हकीकत की नज़ीर को
खामोशी की आवाज को, लफ्ज़ों की साज को,
जज्बातों के ज्वार को, मोहब्बत के इक़रार को
प्रेमिका की करार को, प्रेमी के बेक़रार को,
रूह के फरमान को, दिल के उठे अरमान को,
प्रेम के एहसास को, ख़त किसी ख़ास को,
स्त्री के श्रृंगार को, दंपत्ति की तकरार को,
मंद मंद समीर को, उठ चुके ख़मीर को,
स्पंदनहीन शरीर को, मर चुके ज़मीर को,
अँखियो के नीर को, उजड़ चुके कुटीर को
सावन की बहार को, बरसात की फुहार को
नवजात की झंकार को, श्मशान की अंगार को,
सुहागिन की मल्हार को, विधवा की पुकार को,
यौवना के अंग आकार को, झुरियों के साकार को
वासना की उभार को, विरक्ति के इस संसार को,
चाहता हूँ मैं लिखना....पर शब्द नहीं हैं! _राज सोनी-
मैं हाथ की लकीर पर उसका नाम चाहता था
उसने हाथ से मेरे नाम पर इक लकीर कर दी-
Dear Love
हां, मेरा दिल पत्थर का है
ऒर उस पर एक लकीर हो तुम
-©सचिन यादव-
ग़रीबी दूर करने को एक सफ़ीर भेज देता
ओ मौला या फिर सबको अमीर भेज देता
इन्सान ख़ुद ख़ुशियों की तामीर कर सकता
कम-से-कम हाथों में ऐसी लकीर भेज देता-
मेरे हाथों में उसके लिए मोहब्बत और उसके में दोस्ती की लकीर थी
मैं बेचारा मरता रहा ताउम्र उस पर और वो किसी और की तकदीर थी।-
माथे की लकीरें बदलते बदलते, सलवटें पड़ गई,
खर्चे के पैसे कमाते कमाते, उम्र खर्च होती गई!-
हाथों मे खींची लकीर को देख इंसान
खुद को कभी अमीर,तो कभी फकीर,
समझने की भूल कर बैठता है
या यूँ कहूँ तो खुदा की बनाई
तकदीर समझ बैठता है ।-
रखता हूँ बंद मुट्ठियों को हमेशा
कोई चुरा न ले लकीर तेरे नाम की-