अंदाज राहुल   (Andaaz Rahul)
2.3k Followers · 14 Following

read more
Joined 23 September 2017


read more
Joined 23 September 2017

मर चुका है इश्क़ मुझमें इसे जिंदा ना करना
खुद को मेरे दिल का फिर नुमाइंदा ना करना

ख़ामोशी तब से अब तलक टूटी नहीं है मेरी
मैं चाहता था बस तुमको शर्मिन्दा ना करना

सदमा ए इश्क़ अंदाज ए हमसफ़र हो गया है
शहर ए ग़म का किसी को बाशिंदा ना करना

आयी हो तो बातें बेशक करो इधर उधर की
प्यार जताने की कोशिश ये आइंदा ना करना

-Andaaz Rahul

-



सूरज छिपने को है दिन ढ़ल जाने दो मैं लौट कर आऊँगा मुझमें रात तो हो जाने दो
मैं भटका शायर कुछ ख़ास मेरे पास नहीं दिल ही बक-बक करेगा इसे जाग जाने दो
उसकी यादों का ख़ुमार अभी छाने लगा है कलम को ज़रा सा मदहोश हो जाने दो
कहकहों में छिपा दर्द छू जाऊँगा तेरा तबीयत से कोई शेर मेरे ज़ेहन में चढ़ जाने दो
चिंगारी जवां हो रही है धीरे-धीरे मुझमें अरे अभी जरा ढ़ग से आग तो लग जाने दो
परवाने बहोत जले है महफ़िल में आज मेरी आग में किसी शमा को जल जाने दो
तुम मेरे जैसे दिखते हो हाल से हाल मिलता है लफ़्ज़ मेरे है पर ग़म तेरा कह जाने दो
तुम सुन रहे हो तो सुना रहा हूँ मैं, सब कुछ सुन लो मुझसे पर उसके नाम को जाने दो
-Andaaz Rahul








-



सलीक़े से इक बार लगा दिल बार बार कहाँ लगता है
तेरे साथ लगता है मुसलसल तेरे बग़ैर कहाँ लगता है

क़रार देकर क़रार तोड़ा तुमनें तो क़रार मुझमें ना रहा
इत्मीनान से गुज़र रही है तेरी तू बेक़रार कहाँ लगता है

जाने क्या रश्क है मेरी तकदीर को ये खुशी नहीं लगती
मुझे ग़म तो जल्द लगता है मुझको प्यार कहाँ लगता है

जुदाई में ये पागल दिल दिन रात लगा काम पर रहता है
कमबख़्त मोहब्बत की तक़्वीम में इतवार कहाँ लगता है

इतरा रही हो जिसे लेकर वो खिलौना आफ़रीन है बहोत
दिल बहलाने को सही मगर अंदाज ए मयार कहाँ लगता है

-Andaaz Rahul

-



थी हस्ती गुलज़ार मेरी यूँ तबाह किसने की
तुम तो आबाद दिखती हो जफ़ा किसने की

तेरे निकाह के कलमें पर मेरा नाम तो नहीं
फिर कौन खुदगर्ज निकला वफ़ा किसने की

बंदगी में शामिल था तो जिंदगी में क्यों नहीं
इबादत-ए नेक दुआ में फिर क़ज़ा किसने की

तेरी रातें तो रूमानियत से रंगीन नजर आती है
फिर ग़म-ज़दा मेरी स्याह रातें खफ़ा किसने की

मंजूर तुमने ही की थी रिहाई मेरी तेरे इश्क़ से
फिर ता-उम्र की मुझे मुकर्रर सज़ा किसने की

-Andaaz Rahul





-



वो क्या रूख़सत हुआ दिल से दिल मेरा ये वीरान हो गया है
ख़ामोशियों के सन्नाटे से लबरेज़ हर कोना सुनसान हो गया है

आँखें जम गयी है दहलीज़ पर धड़कने सुस्त पड़ती जा रही है
हर दर्द से अनजान ज़िस्म जान होते हुए भी बेजान हो गया है

हिज्र में उसके हालत दोनों की बिगड़ती जा रही है दिन ब दिन
अकेला मैं हुआ और मुझसे ज्यादा अकेला ये मकान हो गया है

जरा सा तरस तो खाता अपने हाथों से लिखे ख़तों की ख़ातिर
उसकी वफ़ा के दावे करता हर लफ़्ज़ खुद से पशेमान हो गया है

मैं तो उसके नाम पर सारी दुनिया करने का इरादा रखता था
वो इरादतन फिर नये दिल के टूकड़े के लिए बेईमान हो गया है

हाथ बाँधे खड़ा रहा मैं उसके वार पर पलटवार भी कैसे करता
दिलोंजान से चाहा था उसे मेरा इश्क़ उसका निगेहबान हो गया है
-Andaaz Rahul









-



वादा वही करता हूँ जिस पर यकीन हो निभा दूँगा
मैं नहीं कहता तेरे लिए चाँद तारे तोड़कर ला दूँगा
मगर तेरे चाँद से चेहरे की रौनक फीकी ना पड़ने दूँगा
गुलों को सितारों की तरह तेरी जुल्फ़ों में लगा दूँगा
ये मुमकिन नहीं तेरे लिए आलिशान ताज बना दूँगा
मगर छोटे से घर में तेरी खुशियों भरी दुनिया बसा दूँगा
सुख में तुझे आगे रखूगां लेकिन दुख भी आएगें जरूर
मगर मैं तेरी ढाल बनकर हर ग़म से लड़कर दिखा दूँगा
क़ीमती तोहफ़ों का मेरा मुश्किल है रोज लेकर आना
मगर सोलह श्रृंगारों से तेरा बदन हर रोज सजा दूँगा
तेरी हर तमन्ना पलक झपकते ही पूरी नहीं कर पाऊगाँ
मगर अपनी ता उम्र तेरी ख्वाहिशें पूरी करने में लगा दूगाँ
तेरी आँख से आँसू मेरे कारण गिरा तो ग़म का ना होगा
मगर जब ऐसा होगा वो आँख से पानी खुशियों का ला दूँगा
बहोत से नौकर चाकर तो नहीं होगें हुक्म की तामिल को
मगर मैं अकेला ही मेरी जान तुम्हारे सारे हुक्म बजा दूँगा
मुझे जुबान से बहोत कुछ कहने की आदत तो नहीं है
मगर मैं तुम्हें कमी ना होने दूँगा प्यार इतना तो जता दूँगा
मैं वादा वही करता हूँ जिस पर यकीन हो निभा दूँगा
मगर मैं वादा करता हूँ एक दिन आसमां छूकर दिखा दूँगा
-Andaaz Rahul

-



पहले तो तेरा सब कुछ था मैं अब कुछ भी कहाँ लगता हूँ
कभी तेरी जीने की जो वज़ह था अब ख़ामख़ाह लगता हूँ

मैं बेईमानों को बद्दुआ ईमान वालो को कोई दुआ लगता हूँ
मैं तुझ जैसो को ज़हर लगता हूँ मुझ जैसो को दवा लगता हूँ

-



अधूरा तेरे इश्क़ ने छोड़ा तो ग़मों ने मुझको तराशा है
अब रात की हथेली पर मेरी कलम चलती बेतहाशा है

नजारें बेरंग कहकशाँ भी उदास लगता चाँद रूआँसा है
बाँट रहे है सब मिलकर ग़म मेरा ये देते मुझे दिलासा हैं

भीग कर निकली है रात दर से सुबह करती खुलासा है
बरसती आँखों में एक ही मौसम ठहर गया चौमासा है

तुझसे तो नहीं मेरा तेरी यादों से रिश्ता अच्छा ख़ासा है
हर बार ख़फ़ा होना हर बार बुला लेना हर बार तमाशा है

ख़्यालों से ख़त ख़त से गज़लों में तुझको ही तलाशा है
मेरे जानिब लिखा हर शेर भूखा है हर लफ़्ज़ प्यासा है
-Andaaz Rahul



-



ग़म ए दरिया के उफान को अभी उतरने में वक्त लगेगा
बेवक्त ये बुरा वक्त आया ये वक्त गुजरने में वक्त लगेगा

जो खाली हुआ वो कोई तालाब नहीं एक पूरा समंदर था
अर्से सदियाँ कौन जाने कितना इसे भरने में वक्त लगेगा

तेरी दरियादिली है तुमनें फिर किसी से इश्क़ कर लिया है
मुझको तो मुझसे ही अभी मोहब्बत करने में वक्त लगेगा

वो माँगती थी दुआओं में मेरी लंबी उम्र की दुआएँ बहोत
बहरहाल अभी मरते मरते भी मुझे मरने में वक्त लगेगा

-Andaaz Rahul

-



जरा ए-वक्त तू जल्दी गुजर और रात होने दे
मेरे ख़्वाबों की महफ़िल की हसीं शुरूआत होने दे
मोहब्बत आयेगी मिलने हवाएँ साज़ होने दे
मधुर संगीत की मद्धम कोई आवाज़ होने दे
के उनकी शान में देखो कमी ना कोई रह जाये
सितारों की मेरे दर पर खुली बरसात होने दे
परी सी बन के वो निकले तो फीका चाँद लगता है
चरागों की जवानी में गज़ब की आँच होने दे
के लब यूँ सुर्ख़ है उनके गुलों की है वो शहज़ादी
गुलाबों को अभी गहरा हया से लाल होने दे
ख़बर ये आईने को दो के जब वो सामने आये
चटक कर टूट ना जाये ना अपने होश खोने दे
उन्हें मैं देख लू जी भर के जी भरता नहीं फिर भी
ठहर जाओ यही पूरे मेरे कुछ ख़्वाब होने दो
सुबह को इत्तिला कर दो वो हमसे ना मुख़ातिब हो
मेरी हर रात पर फिर से चलो इक रात होने दो
-Andaaz Rahul

-


Fetching अंदाज राहुल Quotes