इस्त्री पकड़े रखी और सिलवटें ना हटाई
कोयला डाल दिया पर आग ही ना लगाई।-
पिताजी की पहचान लिए बैठें हैं।
Don't Grow Up..!! It's Crap..!! read more
रो-रो कर हमने गुजारी थी वो रातें
सारी की सारी तुम्हारी थी वो रातें।
रफ़ू करा कर ओढ़ ली थी वो हमने
हमें अंधेरे में रखकर फाड़ी थी वो रातें।
एक मर्ज मैने पाल लिया उम्र भर का
अब पता लगा कि बीमारी थी वो रातें।
बेकद्री करता रहा हर "दिन" की मैं
चांदनी की आड़ में भिखारी थी वो रातें।
जो शख़्स ना रह पाता तुम्हें देखे बिना
उसके अकेले रहने की तैयारी थी वो रातें।-
तुम्हें मोहब्बत करने को
हम जैसे भले कहां आएंगे
तुम नहीं चाहती तो ना सही
अब हम भी ना गले लगाएंगे।-
तुम्हारे साथ जो कुछ दूर गया उस दिन
धरती से चांद की दूरी मेरे लिए उतनी ही है।-
बस यही एक भ्रम जो पाले रखा है
आज का काम कल पे डाले रखा है
कल आयेगा या नहीं किसे ही पता
ख़्वाबों को अपने रात के हवाले रखा है।-
जाओ लगा लो दिल कहीं
टूटेगा ये तो इसे जोड़ देंगे।
भटक गए राह तो फ़िक्र नहीं
हमें घर पता है तुम्हे छोड़ देंगे।-
मेरे सब कष्टों को दूर करें ओ मेरे रघुवर
जीवन में अब कौन है बस तुमसे बढ़कर।
तुमही गगन के सूरज और तुमही चांद हो
दिन रात हर पहर की बस एक तुम मांद हो।
मैंने मोह बंधन में अपना वक्त बर्बाद किया
जब भी घिरा अंधेरे में बस तुम्हें याद किया।
नाम जपना मैं जानू उसमें ही उद्धार करो
मन में नाम तेरा रहे दूर सारा संसार करो।
मालूम तुम पास मेरे मां बाप के रूप में हो
कभी जनवरी कोहरे में कभी जून धूप में हो।
पर एक बार दीदार को बता किस दर जाऊं
आंखों में भर लूं तुम्हें और भव सागर तर जाऊं।-
ऊपर ना रहा तो फिर क्या
जमीन से जुड़ा था गिर गया।
अब गिरा हूं तो थम ही लूं
साथ बैठोगे जरा चिर क्या।
नजरें मिलाके मुंह तो खोलो
बातें करने में हो माहिर क्या।
करना है दिल हल्का मन खाली
आंखें तुम्हारी नहीं साहिर क्या।
खैर छोड़ो अब चुप ही रहो
मुझसे इश्क़ हुआ तो फिर क्या।
ऊपर उठाओगे और छोड़ दोगे
लोग कहेंगे देखो फिर गिर गया।-
जहां था वहीं रह गया हूं
ऊंचा था कुछ ढह गया हूं।
चिटकने लगीं हैं ईंटें पुरानी
अब हर मौसम सह गया हूं।
पंखों में जोर नहीं उड़ने का
हवा के साथ ही बह गया हूं।
OTT के इस नए जमाने में
दूरदर्शन की बातें कह गया हूं।
जहां अब वजह ही नहीं कोई
ना जाने क्यों बेवजह गया हूं।
बिना कुछ कहे चला आता हूँ
सबसे मिलने इस तरह गया हूं।
जिस गुनाह से अनभिज्ञ था मैं
हर बार उसकी ही जिरह गया हूं।
सजा मुझे मिली और वो खुश है
हार कर भी हो फ़तह गया हूं।-