हवा की तरह होती है मुसीबतें भी,
कितनी भी खिड़की बन्द कर लो,
अंदर तो आ ही जाती है।।।-
वख्त बेवख्त मैं मुसीबतों से लड़ा हूँ
उम्र से मैं, थोड़ा उम्र में बड़ा हूँ-
चुप चाप गुजर जाना
मुसीबतों से
शोर कामयाबी का हो..
काटों के आँसू से ज्यादा
मंज़िल की ललक और
आँखों में चमक हो..
राह वो चुनना कि
किसी अपने को दर्द ना हो,
मुक़ाम की जल्दी में
पीछे छूटने वाला कोई अपना
कोई रिश्ता न हो,
चुप चाप गुजर जाना
मुसीबतों से
शोर कामयाबी का हो..-
मुसीबतों का फखत, वहाँ से आगाज होता हैं
खुदा के फैसलों पे जहाँ से, एतराज होता हैं-
अपनी मुसीबतों से मुँह मोड़कर , सामना करो उनका आगे होकर ,
देखो समझो और निर्णय लो , मुश्किल तो है पर मुमकिन भी है ,
अपनी मुशिकलों से क्या पता चलते - चलते कोई खूबसूरत मंजिल ही मिल जाए , यूँ न भागो खुद से अपनी जिम्मेदारियों से ,
जिन्दगी के उतार चढ़ाव से यूँ डरो मत , तुम गिर भी जाए तो फिर से उठो ,
क्योंकि तुम्हारे गिरने में तुम्हारी म हार नहीं , तुम इंसान है अवतार नहीं ,
गिरो , उठो , चलो , दौड़ो फिर भागो क्योंकि जीवन संक्षिप्त है इसका कोई सार नहीं , आयी चुनौतियों को स्वीकार करो ,
महेनत करने से भागों मत , सामना करो डटकर यू भागो मत राह छोड़कर ,
डटे रहो अंतिम साँस तक .....-
मुसीबतों ने इस कदर घेर रखा है।
जहा भी जाऊ साथ साथ आ जाती हैं।
KaviSagar-
मुसीबतों से निखरती है
शख्सियत यारो
जो चट्टानों से ना उलझे
ओ मांझी फिर किस काम का-
अब न कोई प्यार जहां में मन में दर्द नहीं आता ।
मुसीबतों में हांथ बटानेअब परिवार नहीं आता।
स्वार्थ से सने हुए सभी यहां तो है मगर ,
प्रेम को मन में जागने ओ संस्कार नहीं आता ।।
टूटता है तो टूट जाए रिश्ते अपने खून के ।
सर्द मौसम में लगे हैं ये महीने जून के ।।
बात जो अपनी कहोगे तो तुम्हें गिराया जाएगा।
उनके हां में हां कर लो सर पर बिठाया जायेगा।।
टूटी खटिया टूटे बर्तन सब कुछ तुमने ही तोड़ा है ।
खड़ा निकम्मा बोल रहा है सब कुछ हमने जोड़ा है।।
पीढ़ी अब की भूल चुकी है पगडंडी व्यवहारों की ,
इनको अपने सुख के आगे दूजे का सुख नहीं भाता।
मुसीबतों में साथ देने अब परिवार नहीं आता ।।-
जब से आये हो मेरी ज़िंदगी में ज़िंदगी जीना सीख गये हम,
सुख दुख के इस समंदर में जैसे तैरना सीख गये हम !
मुसीबतों के पहाड़ को चढ़ के मंज़िल को पाना सीख गये हम,
अकेले इस जीवन के सफ़र में दर्द से प्यार करना सीख गये हम !-
जींदगी के जहान में
कुछ खास एहमियत है ।
मुसीबतों के दौर में
मुशिकल साथ नही छोड़ती है ।
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