प्यार को समझना
प्यार से होना चाहिए
इम्तिहानों से नहीं और
नफरत विचारों से होनी चाहिए
इन्सानों से नहीं
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दिल का एतबार
दिल ही जाने हैं ।
मोहब्बत का सजदा
मोहब्बत ही करें हैं ।
और इन दोनों के
सजदा का दीदार
कोई दीवाना ही करें हैं ।-
तू उठ, तू उड़, तू न झुक
तू मंजिलों की दौड़ में हैं।
तू न टूटे, तू न रुके,
बस अपने हौसलों से कह,
मंजिल तेरी हैं तेरी ही होंगी।
बस तू उसका एहसास रख,
और आगे बढ़-
आहट भी हुई एहसास भी हुआ
पर क्या फर्क पड़ा
जब दोनों के नजरों का
आखेंचार न हुआ-
धरती की धरातल में समाये रहें
जब जगे वो नन्हें परिन्दें
धरा छोड़ आसमानों में चहचहाने लगें-
अम्बर के अफसानों में
पहली बार एहसास हुआ ।
कोई परिन्दा जग छोड़कर उड़ा
और पूरा जग सूनसान हुआ ।।-
ऐ बदलती हुई दास्तान
तू जीने के पर्दे उठाकर
मरने की तरफ क्यों भेज रहीं ?
कभी हल्के तो कभी
गहरे जख्म दे रही ,
पर जख्म तू जरूर दे रहीं । ।-
रूकशद होकर लम्हे बेदाग हो गए..
हम उनसे यूँही नहीं मिले,
हम उनकीं जुबां, वह मेरी
जुबां के सरोकार हो गए ।।-