उसके चले जाने के बाद जिंदगी की चाह नहीं रही दोस्तों कभी उसी ने कहा था मेरे अलावा किसी और को मत चाहना हम दोनों का मिलना मुकद्दर में नहीं था पर जो मोहब्बत उससे हुई बा कमाल थी
दिल के अंदर एक बवंडर उठता है ... जाने वह किस के मुकद्दर लिखा है ... दिल जलाया हमने अपना जिसके खातिर... जाने किसकी जुल्फ के साए बैठा है... दीदा ए शौक़ और उसकी तमन्ना में ... आंखों ने कई रात जगाए रखा है ... भंवर में डूबना तय है दिल की कश्ती का .. जिद्दी दिल ये किनारे की उमीद लगाए बैठा है।