supriti sinha  
4.2k Followers · 11 Following

read more
Joined 27 June 2018


read more
Joined 27 June 2018
13 APR 2022 AT 20:31

तहजीब और अदब के दायरे से बंधी हूं ,,
मैं साहिल हूं दरिया नहीं हूं
मैं खोलूं गांठ टूटे दिलों की,,
मोहब्बत हूं अना नहीं हूं ।

-


4 APR 2022 AT 21:13

जिंदगी धूप की गर्दिश के सिवा कुछ भी नही,,
जिक्र बहारों का मेरे यार न कर।
मेरे ख्वाब मुकम्मल हो जाएं कभी,,
ये भी एक ख्वाब है तू उसका इंतजार न कर।

-


8 MAR 2022 AT 20:00

.सुनो, यूं तो तुम्हें नापसंद करने के मेरे पास कई सारी वजहे है लेकिन तुम्हे पसंद करने की बस एक ही वजह थी और ये तो तय है के वो आज भी कायम है।
मै तुम्हे जब भी देखती हूँ तो बस यही खयाल आता है कि ..
एक रिस्ता होना चाहिए सब के पास जिससे कह सके हम अपने मन की उलझाने वाली बातें।मन मे छिपाए हुए वो राज जो बार-बार उछलते हैं मन के दरारों से अंदर ही अंदर रीसतें हैं नासूर बन जाने तक।बह जाना चाहते है ऑखो से....


Pls read in caption..

-


19 FEB 2022 AT 10:19

दुनिया में इश्क के न जाने कितने किस्से हैं...
हाथ किसी के सच लगा तो झूठ किसी के हिस्से है।
देखता है यार की शक्ल में कोई खुदा..
और कहीं बुलबुल कोई सैयाद के फिर जद़ में है ।
राह मंजिल की यहां आशां किसी को लग रही..
और कोई हो रहा बेजार इस दुनिया से है।
किसी के मखमली होठों पे जुंबिश यार की ..
और कहीं आंखों में आंसू यार के वहशत से।

-


14 NOV 2020 AT 13:39

यह हंसती जगमगाती रात सब रातों की रानी है ...
तुम्हारी राह हो उज्जवल दुआ यह दिल ने मांगी है ...
हजारों दीप खुशियों के जला कर मुस्कुरा लेना...
जला कर लौ मोहब्बत की अमावस को भगा देना...

-


18 JAN 2022 AT 8:06

खोजते फिरते हैं हम और गुमशुदा है जिंदगी..
कभी धूप तो कभी छांव का सिलसिला है जिंदगी..
आज तक ना पता पाया और ना उसका घर मिला..
जीने से मर जाने तक का फासला है जिंदगी।

-


30 DEC 2021 AT 16:44

खौफ में गुजरते इस साल को अबतर(नष्ट) कर दे..
गमों की धूप से महफूज अब हर सर कर दे।
ज़ीक़(सोग) में डूबा था हर दिल था मातम पसरा..
दूर कर खौफ बुलंद हर मुकद्दर कर दे।

-


8 DEC 2021 AT 11:34

कब तलक और कहां तक खुद को मुझसे छुपाओगे..
तुम अगर ख्वाब नहीं हो तो नजर आ ही जाओगे।

-


3 NOV 2021 AT 19:12

अंधेरा चीर के पहुंचे जो हम उजालो तक ...
दिल यह मुस्कुरा कर बोला आदाब जिंदगी ..
थके से बुझते से चेहरे हैं फिर से मुस्काए..
तू भी अब छेड़ दे फिर खुशियों वाली साज जिंदगी।
जहाँ बुझे हुए थे चुल्हे और ना उठता था धुंआ...
उठेगी सोंधी सी खुशबू वहां से आज जिंदगी ।
दुहाई कल की दे-दे छिनेंगे खुशियां वो आज की...
कल की कल सोचना बस मुस्कुरा ले आज जिंदगी।
लड़ना है रोज ही दुनिया के अंधेरों से हमें ..
हौसले का दिया फिर जगमगाले आज जिंदगी।

-


19 OCT 2021 AT 15:30

गैरों से जाके मेरी शिकायत नहीं करता ..
गर आश्र्ना होता तो अदावत नहीं करता ..
होता ना जो वो शानो शौकत का नवाबी ..
बदनाम यूं वो अपनी शराफत नहीं करता ..
हम उसके थे बीमार ये दुनिया को थी खबर ..
होता जो निगहबान तो गफ़लत नहीं करता ..

-


Fetching supriti sinha Quotes