Vandana Jangir   (वन्दना)
9.6k Followers 0 Following

लिखना सुँकून है और अब आदत है।
Joined 6 February 2020


लिखना सुँकून है और अब आदत है।
Joined 6 February 2020
21 JAN AT 19:04

हर वो उदास आँखे जो रोना भूल गयी।
प्रकृति ने नियम बदल दिया उदास लोगों के लिए,
सहरा में बारिश कर दी...।।

-


12 JAN AT 20:19

दर्द को पी जाने से ज़्यादा
आँसूओं का पी जाना अधिक पीड़ादायक है।

-


12 JAN AT 20:12

क्या तुम कर सकते हो प्रतीक्षा?
नहीं... !
तुम्हें केवल रिक्त स्थान की पूर्ति करना आया है।

-


12 JAN AT 19:07

दीवारें ढ़ह गयी सारी,ज़मीन धस गयी
जाले हट गये सारे रात, रात हो गयी।
फूलों पर भंवरे नहीं बैठते
तितलियाँ एक ही रंग की नज़र आती है सारी
पंखे को अब घंटों घूरना छोड़ दिया
खिड़की से किसी का इंतज़ार नहीं किया
हाथों से बर्तन नहीं छूटते
अकेले में ख़ुद से बाते करना ज़्यादा हो गया।
बहुत कुछ है जो बदल गया
बस आँखें वही है मेरी ।

-


11 JAN AT 20:20

बार-बार जो औक़ात की बात करते हैं।
कोई बताओ उनको....,
हम अकेले में भी शहज़ादों की तरह रहते हैं।।

-


11 JAN AT 12:21

मुझको मिले दु:ख बहुत सारे।
बस लिखना नहीं छूटे मुझसे।।

-


11 JAN AT 11:50

हमारे हिस्से तो पत्थर दिल वाले ही आएंगे।
हम भी पत्थरों से आग जलाना सीख गये।।

-


11 JAN AT 11:46

तेरे सिवाय और किस पर ऐतबार हो मुझको।
देर-सवेर ही सही तेरे दर पर लौटना पड़ा मुझको।।

-


11 JAN AT 11:44

छोड़ता तो वो भी नहीं किसी को
पाई-पाई का हिसाब चुकता करता है।
ज़रूरत पड़ी अगर तो ...
पलकों से नमक भी उठवा सकता है।।

-


11 JAN AT 11:01

जब अच्छा नहीं कर सकते तो क्यों करें किसी का बुरा
मैंने देखा हैं अच्छे लोगों की बद्दुआ ज़ल्दी लग जाती है।।

-


Fetching Vandana Jangir Quotes