दु:ख में नहीं याद आता कोई ईश्वर
याद आता है केवल एकांत ।
और एकांत में,
जब तुम मिलते हो स्वयं से
तुम्हारा एकांत ही हो जाता है ईश्वर।-
कोई तुम्हारे पैरों में झुक जाता है...,
तो तुम्हारा भी कर्त्तव्य है उसे गले लगाने का।-
तुम्हें कुछ लोग बतायेंगे कि यह दुनियाँ बहुत बुरी है।
कुछ लोग तुम्हें सिखायेंगे कि
इस बुरी दुनियाँ में अपनी कोमलता को कैसे बचाना है।
तुम सदैव आभारी रहना उन लोगों के लिए,
जिन्होंने तुम्हें इस दुनियाँ में जीना सिखाया है।-
जीवन से हारकर
तुम गिरे नहीं
तुम्हें मिट्टी ने चूमा है।
तुम्हारें आँसू बहकर इसी
मिट्टी में मिले हैं।
कोमल हाथों से सींचा है
तुमने इसे ,
देखना, एक दिन वहाँ भी
फ़ूल खिल जाँयेंगे।-
दु:ख में छुपा
है एक रहस्य।
और वही दुःख,
सुख पाने के मार्ग खोजता है।
आत्मा को पवित्र...
केवल दु:ख करता है।
और दुःख में ही हम जान पाते हैं...
जीवन का रहस्य
और ईश्वर से संबंध।-
मैंने जीवन से
इससे अधिक कुछ नहीं चाहा
एक फ़ूलों से सजा घर,
प्रेम और शब्दों की दुनियाँ में मेरा अस्तित्व।-
दीवारों ने देखी हैं उदासी और सुनी है ख़ामोश चीख़
अब दरारें आ गयी हैं...दीवारें बोलना चाहती है।-
मानसिक रूप से कुछ चीज़ों को हम बहुत पहले खो चुके हैं...लेकिन उनका अनुभव बहुत समय बाद होता है। इन सबके हम इतने आदी हो चुके होते हैं कि एक समय के बाद हमें फ़र्क पड़ना बंद हो जाता है।
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