QUOTES ON #मायूसी

#मायूसी quotes

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5 JUL 2018 AT 9:46

चेहरे पर मायूसी
कितनी अजीब हैं छायी ,
ढ़ल जा तू सूरज ...
तेरी रोशनी में ही
मैंने ये ठोकर हैं खाई |

खुद से खुद की
रोज होती हैं लड़ाई ,
अब किस अपने के पास जाऊँ ...
यहाँ तो हर कोई
चाहता हैं मेरी तबाही |

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30 JUL 2020 AT 9:25

ख़ुशी से शुरू , मायूसी पर ख़त्म
एक ऐसा रिश्ता था ,
जिसमें कुछ अधूरे से रह गये हम।

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2 SEP 2017 AT 20:27

सारी मायूसी पल में दूर कर देते हो,,जब मेरे हाथों पे अपना हाथ रख लेते हो😘😘

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17 JAN 2022 AT 15:05

#मायूसी से परे #
मैं मायूस नही थी इस दुनिया की हरकतो से,
अब अगला क़दम मुझे खुद बढ़ाने दो।
इतनी तूफानो से भरी जिंदगी को,
थोड़ा तो चहचहाने दो।
बहुत बार गिरना भी होता,
गिर कर सम्भलना भी होता,
हाथ देकर मत उठाओ मुझे ,
मुझे खुद के बल पर उठ जाने दो।
गर है यहाँ इंसाफ ,तो होगा जरूर...
बेमानी और खुदगर्जी का भी टूटेगा गुरुर।
मशक्कत से बनाया मैंने खुद को ऐसा,
जिसे हो रब और खुद पर भरोसा।
क्या माँगती है एक लडक़ी किसी से,
एक गहरा विश्वास समुंद्र सा।
और एक आत्मविश्वास जो बढ़ने दे उसे,
जकड़े ना किसी बन्दिश में,
अटल ,अमिट चट्टान सा..!!



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13 APR 2023 AT 14:23

नफ़रत भरे उजालों से तो,
रात अंधेरी अच्छी लगती है।
बिन बोले समझ जाए कोई,
वही बात अच्छी लगती है।।

कहीं खुशी जब से खोई है,
चेहरे पे मायूसी अच्छी लगती है।
अब नीम की ठण्डी छाँव नहीं,
मुझे तो धूप अच्छी लगती है।।

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20 JUL 2020 AT 0:53

जब लोगों का दर्द बेइंतहा बढ़ने लगता है।
तब लोग अक्सर ख़ामोशी की चादर ओढ़ लेते हैं।

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7 APR 2020 AT 9:24

ख्वाहिशों का बिखरना फिर मन मे उन्हे समेटना रोज होता है।
सरेआम चुपके से निकल कर सबसे छुपके उसे देखना रोज होता है।
तारों भरे आसमान में माहताब से मिलना रोज होता है ।
उनसे मिलना तो गैर मुमकिन है लेकिन इंतजार की रस्म निभाना रोज होता है।
दिल को थोड़ा करार मिले शायद वो गमगुसार मिले रातों को ख्वाबगाह सजाना रोज होता है।
कही राह ना भटक जाएँ ख्वाब उनके उम्मीद का दिया जलाना रोज होता है।
हम मायूस से चुपचाप उन्हे देखते है और उनका औरो से बतियाना रोज होता है।

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25 MAY 2021 AT 10:05

सबकी खामी भरा दरिया नजर आता है मगर,
अपनी कमियों का समंदर गहरा नहीं दिखता
वैसे ही जैसे अपनी ही आंखों से,
अपना ही चेहरा नहीं दिखता

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15 JAN 2020 AT 16:37

कोई ख़ुशियों में करे शामिल, न इसका हक़दार हूँ मैं
ग़म ख़रीद लूँगा सब तुम्हारे, ग़मो का ख़रीदार हूँ मैं

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2 JUN 2020 AT 21:52

बेवफ़ा

क़ायदा अब तेरा क़ायदा ना लगे,
मिलकर बिछड़ने में फ़ायदा ना लगे,
मेरा क़ातिल मुझे मारता है मगर,
ये भी देखता है कि ज़ियादा ना लगे।

दायरा अब तेरा दायरा ना लगे,
ग़ैरों के शेर से कोई शायरा ना लगे,
दिल तोड़ के हँसना फ़ितरत में हो जिसकी,
वो सज संवर के भी प्यारा ना लगे।

वास्ता अब तेरा वास्ता ना लगे,
तेरे घर को अब मेरा रास्ता ना लगे,
ऐ ख़ुदा इतना तो रहम कर दे मुझ पर,
के उससे अब कभी राब्ता ना लगे।

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