writer✍️ sajid  
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Joined 1 April 2019


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Joined 1 April 2019
18 MAY AT 22:19

मयस्सर जो भी हैं वही अफ़राद काफ़ी हैं
मेरी आदत नहीं बेवजह रिश्ता बनाने की
जब भी भूल करता हूँ करके भूल जाता हूँ
भुला पाया नहीं बस आदत भूल जाने की

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1 JAN AT 0:00

पाया कम खोया ज़्यादा, देखा उरूज़ और ज़वाल भी
लोग तो सारे बदल ही गए अब बदल गया ये साल भी

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7 NOV 2024 AT 19:47

इंतज़ार में तेरे दर दर भटके बन गए सवाली भी
तेरी राह तकते गुज़री ईद गुज़र गई दिवाली भी

اِنتظار می تیرے در در بھٹکے بن گئے سوالی بھی
تیری راہ تکتے گزری عید گزر گئی دیوالی بھی

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22 OCT 2024 AT 20:02

क्या शिकवा करूं बेवफ़ाई का क्या सिला दूं वफादारी का
अब मुझे इनसे फर्क नहीं पड़ता अब बोझ है ज़िम्मेदारी का

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9 AUG 2024 AT 21:26

वक़्त का पासा पलटा और तन्हा सवाली रह गए
जवां होते ही परिंदे उड़ गए दरख़्त ख़ाली रह गए

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4 AUG 2024 AT 16:14

रहा बेख़ौफ़ सदा मैं तो यारों के बीच में
यानी के दिन गुज़ारे हैं बहारों के बीच में

ज़ेहन में रहा ख़ुमार कुछ ऐसा दोस्ती का
घबराया ना मैं कभी भी ग़द्दारों के बीच में

हयात-ए-सफ़र मेरा बड़ा सुकून से गुज़रा
जैसा क़मर महफूज़ है सितारों के बीच में

अग़्यार मेरे राह-ए-मुंतजिर ही रह गए
उलझा सके ना मुझे ख़सारों के बीच में

यारों से कभी दिल का ना फासला हुआ
लिहाज़ा रहे साथ हम हज़ारों के बीच में

साजिद फ़ोन पर ही अब होती है गुफ़्तगू
मगर होती नहीं है दूरी प्यारों के बीच में

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1 AUG 2024 AT 21:02

ये कलम मेरी एक ख़ामोशी है अधूरा हर सवाल मेरा
तुम पूछो साजिद कैसे हो मैं अच्छा बताऊँ हाल मेरा

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20 JUL 2024 AT 21:59

तलब हर रोज़ उठती है और बैठ जाती है
दिल में आता है सभी हदों से गुज़र जाऊँ मैं
घुट घुट कर जीना भी तो कोई जिंदगी नहीं
रब साँस की डोर तोड़ दे चैन से मर जाऊँ मैं

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11 JUL 2024 AT 20:09

बेरहम है ज़िन्दगी हर रोज़ ख़्वाब दिखाती है
एक मुसीबत जाती नहीं दूसरी आ जाती है

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27 FEB 2024 AT 19:14

बेचैन रूह हो जब तो करार कब मिलता है
क़िस्मत में ना हो तब प्यार कब मिलता है
सब्र करके बैठे हैं किसी के इंतेजार में
बताओ सब्र का फल यार कब मिलता है

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