शुद्ध 24 कैरेट जैसी
"मान कषाय"मानव जाति में
अमिट नाम,कुल,जाति,
ज्ञान,रूप की लालिमा
चरमोत्कर्ष पर है,,
विनय की मंद अग्नि में
सुनो..... तपाते हैं,,
मृदुता एक अंलकार बना
स्वात्म को अंलकारित कराते हैं
::::::::::::::::::::::::::::::
पता....ताप.... तप है
मान.....तापमान नहीं
झुलसने से बचाव
जब मान का गलनांक
शत प्रतिशत चाव होगा
स्वर्णकार के प्रति समर्पण
तभी तो निर्मित.......
कंठ में कोमल कुसुम हार
का ठहराव होगा!!
24.8.2020
-