तुझको कैसे लिख दूं माँ इतनी ताक़त नहीं कलम में मेरी
हूं मैं तेरा ही एक दरिया माँ तुझ बिन नहीं ये जिंदगी मेरी
मेरा छोटा सा प्रयास को आप (caption) में जरूर पढ़े-
समझाते समझाते जिसकी उम्र निकल गई
"पास" होना कितना जरूरी है,
"अफ़सर" बन जब दूर निकल गए "बच्चे"
अकेले बुढ़ापे में वो "माँ" समझ गई
सच मे "पास" होना कितना जरूरी है....-
धूप में शीतल जल हैं "माँ"
बारिश में भीगा आँचल हैं "माँ"
दर्द में पट्टी मरहम हैं "माँ"
ख़ुशी में गीत सरगम हैं "माँ"
ममता का संकल्प हैं "माँ"
दुआओं का कल्प बृक्ष हैं "माँ"
धरती पर जन्नत हैं "माँ"
कहे "कुँवर" अनन्त हैं "माँ"
©कुँवर की क़लम से...✍️-
ठोकरों से मुझको कोई डर नहीं लगता
ने संभलके चलना सिखाया है-
शब्दों में बांँधा नहीं जा सकता मांँ का लाड-दुलार,
वो मांँ ही होती है जो कर देती है बच्चे पे जाँ निसार |
वैसे तो होती है बड़ी दयावान ,होता है मोम सा नाजुक उसका दिल ,
पर बात हो जब लख्ते जिगर की, तो हिला नहीं सकती उसे कोई चट्टान |
भुलाकर अपने सारे सपने, इच्छाएं ,यहाँ तक कि अपनी पहचान ,
करती है मदद उम्र भर लाल की, पाने में उसकी मंजिल उसका मुकाम |
बयां करना उसके त्याग ,बलिदान को होता नहीं आसाँ,
करती हूँ नमन उसको मैं, दर्जा है उसका ईश्वर से भी महान |-
वो एक शब्द नहीं पूरा संसार है
जिसके बिना अधूरा हमारा परिवार है
वो है दूर्गा सी शक्तिशाली, काली सी गुस्सैल
पर लक्ष्मी सी गुणी और सरस्वती सी शीतल भी
वो जो बिना कहे सब जान लेती , सब पहचान लेती है
वो है हम फूलों की क्यारी सबसे न्यारी
वो है मेरी प्यारी माँ ।-
आँखों में नमी,
पर होंठों पे मुस्कुराहट वो रखती है
हमारी हर इक चीज़ का ख़याल वो रखती है
उसका दर्द हम समझ जाये न कहीं
खुशियों का नक़ाब लगाये वो घूमा करती है...-