Anil   (अनिल)
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Joined 22 October 2017


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4 FEB AT 14:43

कौन हूँ मैं ????
इस सवाल की आवाज़ हूँ मैं
या फिर ये विचार हूँ मैं,
आत्मा हूँ, मन हूँ, या देह हूँ मैं
प्रेम हूँ, आवेश हूँ, दुख हूँ या भय हूँ मैं,
कौन हूँ मैं ???
शिराओं में बहता रक्त हूँ मैं
या ह्रदय का संकुचन प्रसार हूँ मैं,
क्षण क्षण आती श्वास हूँ मैं
या पुतलियों में सिमटा संसार हूँ मैं,
कौन हूँ मैं ??
वायु हूँ, नभ हूँ, धरती हूँ
जल हूँ या आग हूँ मैं,
ये लिखने वाला हाथ,
या सोचने वाला दिमाग हूँ मैं,
कौन हूँ मैं ?
परमात्मा का कोई सवाल हूँ मैं
या उसी का दिया जवाब हूँ मैं,
कौन हूँ मैं, ये मेरा सवाल है
या इसी सवाल का सवाल हूँ मैं..

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18 SEP 2022 AT 16:57

"बालकनी"

कैप्शन में पढ़ें, पूरी कहानी..

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21 JUL 2022 AT 19:23

तुमने देखा है कभी
गाड़ी के शीशों पर बारिश की छोटी छोटी बूंदों को
जब बूंदों को गौर से देखो
तो बाहरी दुनियां धुंधली हो जाती हैं,
बाहर ध्यान लगा लो
तो बूंदे धुंधला जाती हैं,
ठीक यही मेरे मन और आँखों का हाल है..
जब आँखे दिमाग की सुनती है
तुम धुंधली नज़र आती हो
फिर कभी जब उनका जुड़ाव हृदय से होता है
तो सारी दुनियां सिवाय तुम्हारे धुंधला जाती है,
मेरी एक और दूसरी सांस के बीच जो फासला है
बस उतना ही वक़्त है जब मुझे तुम्हारी
याद नही आती है...

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4 JUL 2022 AT 9:23

इंसानियत

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2 JUL 2022 AT 10:18

इंसानियत का दम घुटता है शायद
ऊंची इमारतों, व्यस्त सड़कों, शोर शराबे में
इसीलिए वो पहाड़ों में, मैदानों में, गांवों में रहती है,
शहर के बाहर बस्तियों में, गरीबी में बसती है
सामान से अटा पड़ा मकान
नोटों से भरी बड़ी तिज़ोरी
बंगलों में उसे खुद के लिए जगह कम लगती है,
अपनो से मिलने के लिए जहाँ
कैलेंडर देख कर वक़्त दिया जाता हो
इन रिवाज़ों में उसे खुद की अवहेलना सी लगती है,
यदा कदा जब किसी महंगे क्लब में
उस पर बड़ी बड़ी बातें होती है
किसी गरीब वेटर के दिल मे डरी, दबी, छुपी
इंसानियत मंद मंद हंसती है...

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10 JUN 2022 AT 10:04

मेरे छूने से अगर तू और हसीन हुआ है
तो यकीन मान
तुझे छूने का असर मुझ पे भी हुआ है,
मैं नज़र आता था ख़ुद को, आम आदमी की तरह
आईने में मिला जो बादशाह, तेरी वजह से हुआ है,
कमल के खिल जाने से खिल जाता है पानी भी
मोहब्बत का जादू कब एकतरफा चला है,
मेरी गज़लों से आने लगती है ख़ुशबू
मतलें में जब जब मैंने तेरा ज़िक्र किया है,
इंतेज़ार ए मेहबूब में पेश आऊंगा बड़े इत्मीनान से
मैं जानता हूँ
फल उसी का मीठा है, जिसने सब्र किया है...

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21 MAY 2022 AT 19:14

"शहर"

कैप्शन में पड़े पूरी कहानी..

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9 MAY 2022 AT 12:06

ढ़लती दोपहर


कैप्शन में पढ़े एक ढ़लती हुई प्रेम कहानी..

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5 MAY 2022 AT 15:00

शाख़ से टूटा हुआ वो पत्ता हूँ मैं
जो हवा के इशारों से चलता है,
कफ़न सीना बस एक हुनर है मेरा
मेरा घर जनाज़ों से चलता है,
मेरी हार के किस्से दर्ज़ है अख़बारों में
फिर जाने क्यों रक़ीब मुझसे जलता है,
कोई गिला नही तेरी जफ़ा से
बस ये दो चेहरों वाला अंदाज़ जरा खलता है,
तुम क्या मग़रूर हो जोश ए जवानी में
हुस्न कोई भी हो, एक दिन जरूर ढलता है,
मैं क्या, कोई भी हमेशा नही रहेगा यहाँ
ये दस्तूर है दुनिया का, यहाँ ऐसे ही चलता है...

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19 APR 2022 AT 16:51

दिल को सब्र रखना सिखाऊं कैसे
तुझसे दूर रहके भी मुस्कुराऊँ कैसे,
खुदकुशी करना एक अलग बात है
खुद ही खुद की कब्र तक जाऊं कैसे,
तू मुस्कुराता है जिस परिंदे को देखकर
उस परिंदे को अपनी छत पर बुलाऊँ कैसे,
मैं बीमार हूँ, मगर हक़ीम दवाखाने में नही
राह चलते को अपना मर्ज़ बताऊं कैसे,
जिस बेफ़िक्री से टाल दी तूने मुलाक़ात की बात
उस अंदाज़ में ही मैं खुद को समझाऊं कैसे,
चश्म जो सूख गए, तेरी राह देखते देखते
सूखे चश्मों से अश्क़ बहाऊँ कैसे,
ये तेरा हक़ है तू मुझसे मिले ना मिले
तेरे हक़ पर मैं अपनी मर्ज़ी चलाऊं कैसे,
आसमां में चांद नज़र आ भी जाए तो क्या
मेरे चांद के बिना मैं ईद मनाऊं कैसे..

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