वो नहीं आते पर उनकी यादों का मौसम आता है
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मेरे देश की मिट्टी की खुशबु को ना बाटो दीवारों में
सौंधी सी खुशबु में महक नफरतों की ना समा जाएं-
खनक तेरे चुड़ी की पायल की झनकार
सादगी तेरी और नयनों की तीखी तलवार
बेस्वाद सी जिंदगी में अनगिनत रंग भर गई
चाहत में तेरी मेरी जिंदगी शायरी हो गई-
मजहब ---- प्यार मोहब्बत,
अपनापन ,इन्सानियत ,
नेकी दरियादिली
मजहब ------- नफरत डर,
बंदी पागलपन
दहशत , हैवानियत
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सारी की सारी जमीं
सारा आसमान मेरे पास हैं
अब किस कमी की बात करु
अरमानों से भरी सारी
कायनात मेरे पास है-
हकीकत की दुनिया से होकर जुदा
सपनों की दुनिया का लेते हैं मजा
बड़ी रंगीन है हसीन है सपनों की दुनिया
मन में बसी ख्वाहिशों की दुनिया
यहां जमा घंटा का हिसाब नहीं
कुछ आम नहीं कुछ खास नहीं
जो है ओ दिल का सुकून है
दिल को जो भाए जीने का जुनून है
सपनों की लहरों में खेल रही है
इसके ही दम पर हकीकत को झेल रहे हैं
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तुझे जी भर के नहीं देखा जिंदगी
आंखों में कभी अधूरा ख्वाब है
माना कि मोहब्बत हो तुम मेरी
पर क्या करें किस्मत ही ख़राब है-