सदके दुवा ओं के ऐ साथ हमारा
यूं ही ताउम्र रहे हाथों में हाथ तुम्हारा-
तराशें जाने पर ही पत्थर भी भगवान का रुप पाता है
बिना तरासे सोना भी मिट्टी की गोद में रहता हैं-
मोहब्बत का मुझको कसर हो गया
मैं दुनिया से किस कदर बेखबर हो गया
हर रिश्ता किसी के खातिर बेअसर हो गया
मोहब्बत में फर्ज निभाना एक कसूर हो गया
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बस्तियां उजाड़ दी हमने ख्वाहिथशों की खातिर
अब आसरे ढूंढते फिरते हैं निद की तलाश में
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ओस की वो बुंदे जैसे जिंदगी का फ़साना
पलभर चमकना जिंदगी की धूप में फिर खो जाना
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काले घने अंधेरे और खामोशियां
रात में टीस उभर आती है
जब जब याद आती है तन्हाइयां-
मोहब्बत ने तेरी हमें खुदसे बेगाना कर दिया
लगकर इल्जाम बेवफ़ाई का तनहा ना करना हमे-
ये जमीं ये आसमां और ए नजारे
गवाह हे मेरी मोहब्बत के सारे
तेरी माथे की बिंदी मांग का सिंदूर
जैसे आसमां के चमकते सितारे-
गुमसुम रहकर चलाता रहा जिंदगी का सफर
तेरी बेवफ़ाई का हर लम्हा याद रहा उम्रभर
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आँखो से जो देखोगे वहीं नजर आयेगा
खुबसुरती का मतलब
नजर ओर नजरऐ से बदल जाएगा-