Sђΐℓpΐ ♏ehrotra   (Shilpi Mehrotra)
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Joined 22 February 2020


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Joined 22 February 2020
8 JUL 2022 AT 8:34


जैसे चाय स्वाद तभी देती है जब वो होती है गरम |
वैसे ही जिंदगी को अर्थ देते हैं हमारे खुद के अपने कर्म |
s.m. 💐💕 सुप्रभात 💐💕

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29 JAN 2022 AT 9:36

,उम्रभर बाप बनाता है एक घर|
बड़े होते ही उड़ लेते हैं बच्चे ,फिर लेते नहीं माँ बाप की खबर |— % &

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24 SEP 2021 AT 12:05

इश्कबाजो! गर हो हिम्मत इश्क के वादों,
सात फेरों को उम्र भर निभाने की,
करना तभी जुर्रत ,किसी पर इश्क के ,
हसीन इल्जाम लगाने की|

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29 AUG 2021 AT 12:41

तो
खुद को भी थोड़ा सा वक्त दे देना|
निहार खुद को दर्पण में,
बेवजह थोड़ा सा सज लेना |
बन गैर जिम्मेदार कभी तो,
थोड़ा ज्यादा सा सो लेना |
छोड़ गैरों की परवाह कभी तो
अपनी पसंद का भी थोड़ा सा स्वाद ले लेना |
छोटी सी है, जिंदगी होकर
बेपरवाह, बेबाक,बेवक्त
कभी यूंँ ही थोड़ा सा खुलकर,
तू भी तो😊 हँस😊 लेना||

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5 AUG 2021 AT 8:49

"सोच बदलो, समाज बदलेगा"

सिखाओ अपनी बेटी को ,मत करें किसी का अपमान ,
पर ये भी सिखाना उसे जरूरी है ,उसका खुद का भी आत्मसम्मान |
सिखाओ अपनी बेटी को, परिवार को जोड़े रखना ,
पर जरूरी है उसका खुद को भी ना बिखरने देना |

सिखाओ अपनी बेटी को ,सोच समझ के बोलना और सहना ,
पर यह भी सिखाना जरूरी है ,उसका अपनी बात को भी कहना|
सिखाओ बेटी को ,ससुराल है उसका घर ,है वो वहाँ की इज्जत ,
पर करें कोई अत्याचार, तो मायके का कमरा है उसके लिए हमेशा सुसज्जित |

सिखाओ अपनी बेटी को ,पति होता है जीवन भर के सुख दुख का साथी ,
चलना कदम से कदम मिलाकर उसके, पर ना बनाना कभी उसकी दासी|
अब वक्त है सोच बदलने का, पति भी होता है इंसान ,ना कि परमेश्वर ,
सखा,प्रेमिका,पत्नी बन देना उसका साथ ,पर ना करना पूजा मान उसको ईश्वर |

विदा होती है बेटी मायके से डोली में,ससुराल से अर्थी में ,हो गया है बड़ा पुराना |
बनाओ बेटियों को भी शिक्षित,सबल ,सक्षम अब जरूरी है ,हमें इस नई रीत को अपनाना|

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7 JUL 2021 AT 12:50






shilpi Mehrotra

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12 JUN 2021 AT 23:47

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28 MAY 2021 AT 22:29

जाता है, बूढ़ा वो इंसान|

सरहद पर हो जाता है,कुर्बान जिसका एकलौता जवान ||

🙏🏻🙏🏻💐💐🙏🏻🙏🏻

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वक्त से पहले हो जाता है ,अब बूढ़ा एक इंसान |

प्रतिस्पर्धा भरे इस माहौल में,उम्र बीत जाती है

बनाने में अपनी पहचान ||

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19 MAY 2021 AT 12:47

" मै " रहता वहाँ नाही |
जो " मैं " आए गया रिश्ते में ,
मोहब्बत टिक ना पाही ||

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9 MAY 2021 AT 12:23

शब्दों में बांँधा नहीं जा सकता मांँ का लाड-दुलार,
वो मांँ ही होती है जो कर देती है बच्चे पे जाँ निसार |

वैसे तो होती है बड़ी दयावान ,होता है मोम सा नाजुक उसका दिल ,
पर बात हो जब लख्ते जिगर की, तो हिला नहीं सकती उसे कोई चट्टान |

भुलाकर अपने सारे सपने, इच्छाएं ,यहाँ तक कि अपनी पहचान ,
करती है मदद उम्र भर लाल की, पाने में उसकी मंजिल उसका मुकाम |

बयां करना उसके त्याग ,बलिदान को होता नहीं आसाँ,
करती हूँ नमन उसको मैं, दर्जा है उसका ईश्वर से भी महान |

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