टिकी हैं मोहल्ले की नज़रें वहीं पर
दरीचे पे गेसू सुखाना नहीं तुम।।-
अरसों बाद बड़े आनंद का एहसास हुआ
इतनी गहरी नींद आई कि
जैसे अरसो पहले मैं सोया करता था
ना होश रही दिन की ना अंधेरे का अहसास हुआ
आज ऐसी नींद सोया हूँ मैं कि
जैसे मेरे महबूब की बाहों में सोया करता था-
मोहब्ब्त-नफ़रत सब एक साथ आए हैं,
मेरी महबूब के लिखे खत हाथ आए हैं...-
घुंघट में बेखौफ मुस्कुरा रहा है चांद
लगता है कोई साजिश छुपा रहा है चांद-
एक चाँद बादलों में छिप रहा है
एक चाँद मेरी नजरों के सामने दिख रहा है
उसको देखूँ कि तुझको निहारूँ...
यूँ तो पढ़ते रहते हैं सब तारीफ़ में
कशीदे उस चाँद के कि अब मैं उस चाँद की
तारीफ़ करूँ या तेरी नजरें उतारूँ...-
क्या एक ही चेहरा था ख़ुदा तेरे जहाँ में,
कोई और चेहरा मुझको नज़र क्यों नहीं आता!-
एक पुरा जवाना हो गया
मैं आशिक परवाना हो गया
वो महबूब थी किसी और की
जिसका मैं दीवाना हो गया।-
"जरूरी है क्या"
पास जो आ रही हो मेरे, कोई मजबूरी है क्या।
हमारा तुम्हारा मिलना, अभी जरूरी है क्या।
ठुकरा कर गयी थी यूँ कि, बेवफाई की हो मैंनें
अब रक़ीब ने कर ली, तुमसे बहुत दूरी है क्या।
कल कह रहा था कोई, देखा तेरे महबूब को गैर के साथ
इतना जो महक रही हो, बाहों में उसकी कस्तूरी है क्या।
कहा था तुमनें सरेआम कि, तुम मेरे काबिल नहीं हो
फिर से इश्क कर रही हो, दिल की भी मंजूरी है क्या।
पास बैठ मेरे गुफ़्तगू करो तुम, पहले तो नहीं हुआ यूँ कभी
कुछ प्यार की धुन सुन रहा हूँ, होंठों पे तेरी बांसुरी है क्या।
सीखा दिया था मैंनें इस दिल को, सलीका तेरे बगैर जीने का
अब चाहती हो मुकम्मल करना, कहानी मेरी अधूरी है क्या।-
पता नहीं वो कौन लोग थे जो अपने महबूब के लिए पूरी दुनिया से लड जाते थे
इधर तो महबूब से ही लड़ाई खत्म नहीं होती।।
😂😂😂😂-