QUOTES ON #भूगोल

#भूगोल quotes

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17 FEB 2021 AT 19:45

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29 SEP 2019 AT 0:04

🙏शीर्षक_आज़ादी🙏
वो मेरा इतिहास,आधुनिक और मध्यकालीन,
मैं बन गया,उसका इतिहास प्राचीन,
वो शहर में रहने वाली,पन्ना की खदानों का हीरा अनमोल,
मैं गांव में रहने वाला गंवार,वह समझ ना पाई मेरा भूगोल,
वह मेरे बजट से बाहर थी,उसकी अर्थव्यवस्था मुझे पसंद ना आई,
GDP का सवाल था,मैंने अपनी मुद्रा जान बुझकर गिराई,
मेरा गणित कमजोर,वो रोज नौ दो ग्यारह करती,
वो law की विद्यार्थी मुझे मुजरिम खुद को वकील समझती,
मैं Engineering का छात्र,पर उसके सामने निर्बल,
थोड़ी सी क्रिया की उसने,लगा दिया मैंने भी प्रतिक्रिया बल,
मेरे दिल की सत्ता पर,करने लग गई थी वो राजतंत्र,
कहीं आंदोलन किये,तब जाकर मैं हुआ स्वतंत्र,
वो मेरा इतिहास,आधुनिक और मध्यकालीन,
मैं बन गया,उसका इतिहास प्राचीन,

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24 JUN 2022 AT 8:41

सुनो जानाँ...!
मैंने नहीं पढ़ा
विज्ञान के नियमों
को, और न ही
पढ़ा गणित या
भूगोल शास्त्र....

मैंने पढ़ी हैं सिर्फ
तुम्हारी ये आंखें !
जो भूगोल सी
विशाल, और कहीं
विज्ञान सी गहराई
समेटे हुए हैं,
और मैं, गणित
के सिद्धांतों सी
तुम्हारी आंखों में
उलझ कर, कहीं
अब ठहर सी गई हूं...!

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23 JUL 2020 AT 9:00

एक बात पूछनी थी🤔🤔🤔

अगर इतिहास गवाह है

तो भूगोल क्या है🤪🤪🤪😄

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3 APR 2018 AT 12:52

दूरियां नापी नहीं जा सकती
.................भूगोल के किताब में
नज़दीकियां बन्द रह गयी है अब
.................सबक ए इतिहास में

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25 FEB 2020 AT 9:02

इतिहास तो
अपने प्रेम का
कभी रहा ही नहीं...

और गणित
मैंने अब
लगाना छोड़ दिया...

बस भूगोल बचा है...
तो अब मैं प्रेम के
जगत में भृमण
करता रहता हूँ !!

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1 SEP 2017 AT 10:38

न इतिहास बदल सकता है पन्ने फाड़ने से

न भूगोल बदला है झंडे गाड़ने से

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मन की खिड़की खोल रे साथी,
तोल मोल फिर बोल रे साथी.!

गोलमाल है पग पग प्यारे,
कैसे कैसे झोल रे साथी..?

बिछड़े फिर से मिल जाओगे,
ये दुनिया है गोल रे साथी..!

जैसी जीव की देह दशा है,
वैसा ही भूगोल रे साथी..!

स्वतंत्र मिला ये जीवन तुमको,
अवसर है अनमोल रे साथी.!

पारदर्शिता में ही सुख है,
खुल जाती हर पोल रे साथी.!

सिद्धार्थ मिश्र

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4 DEC 2018 AT 2:57

एक विद्यार्थी का जुगाड शिक्षक को भाया और उसे पुस्तक के रूप छपवाया। जुगाड था भारत के भूगोल से सम्बंधित जानकारी को पद्य में रचना। जिसे सहजता से कंठस्थ किया जा सके। यह रोचक पद्य पुस्तक " पद्य–भूगोल” के नाम से १९२५ में प्रकाशित हुई ।
इस विद्यार्थी का नाम था श्याम बिहारी लाल श्रीवास्तव (आगर – मालवा ) और पुस्तक प्रकाशित करने वाले शिक्षक थे श्रीमान बाबूसिंह ,मंदसौर। इस पुस्तक की १००० प्रतियां श्रीवेंकटेश्वर स्टीम प्रेस ,बंबई में छपी।
पुस्तक की भूमिका में विद्यार्थी श्रीवास्तव ने बताया कि किसी भी विषय को कंठस्थ करने के लिए सुगम माध्यम पद्य है। अल्प समय में ही पद्य स्मरण में सहायक होता है। ईमानदारी केे साथ विद्यार्थी श्रीवास्तव ने पद्य मर्मज्ञों से माफी मांगते हुए लिखा यह सिर्फ विद्यार्थियों के हित के लिए ही किया है।

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27 FEB 2022 AT 15:38

मानचित्र,
नदियों का सबसे सुंदर,
मैंने चार्ट,किताबों में नही,
अपने पिता के हाथों में देखा।
और समझ गया उनके उद्गम स्थान।
अनुशीर्षक में— % &

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