Upendra Saini   (उपेन्द्र सैनी (अल्पज्ञ))
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Joined 10 April 2018


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1 JUL 2024 AT 17:26


समाज के सभी लोगों को जागरूक करना भी जरूरी है विषय ही कुछ ऐसा है " पर्यावरण"
हा उन्ही लोगों को जागरूक करना है जो प्लास्टिक के बोर्ड पर रंगीन स्केच से लिखकर समाज मे रैलियां करते हुए बताते है "पर्यावरण में प्लास्टिक के नुकसान"।
बदलते पर्यावरण चक्र और मौसम ने सभी के मस्तिष्क ..........
अनुशीर्षक में

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1 JUN 2024 AT 15:15

प्रेम,
जिसको पाने के लिये,
हर युग मे परीक्षाओं से,
गुजरना पड़ा पुरुषों को।

सतयुग,
जिसमे ईश्वर के प्रति,
प्रेम के लिये आग में,
बैठना पड़ा प्रह्लाद को।
(अनुशीर्षक में)

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14 MAY 2024 AT 15:40

तन्हा लोगों में एक अरमान रहता है,
हमसफ़र हो तो चलना आसान रहता है।

दोपहर को कभी मेरी गली से न गुजरना,

ग़ज़ल अनुशीर्षक में

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6 MAY 2024 AT 8:35

अलंकार,
जो आभूषण हैं,
काव्य के ।

स्त्री,
जिसका आभूषण,
मैंने शिक्षा को माना,
पीढ़ियों से ढोई जा रही,
लज्जा रूपी भावना को नही।

लड़को के भी,
आभूषण होते हैं,
एक बेरोजगार लड़के का,
आभूषण सरकारी नौकरी है।

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2 APR 2024 AT 17:41

धूम्रपान,
जिंदगी के साथ,
बहुत चीजें फूंक देता हैं।

यही सोचकर,
सिगरेट सुलगा कर ,
कस लेते हुए धुआँ खीचता हूं,
दर्द,चिंता और बहुत कुछ है,
जिन्हें फूंक देना चाहता हूं।

मैं अकेला नही हूं,
इन सभी मे,
एक बीड़ी का बंडल,
लिए हुये व्यक्ति जब,
बीड़ी जलाकर धुंआ छोड़ता है,
तो उसे ज्यादा जल्दी होती है,
अपने ज्यादा दर्द और समस्याओं को फूंक देने की!

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6 JAN 2024 AT 14:53

भूगोल,
जिसकी किताब से पहले,
मैं ब्रह्मांड, चांद, तारे,सूर्य,
ग्रह और उल्का पिंड जैसे शब्द,
अपने घरवालों के द्वारा जान गया।

पिता,
जो मेरी शरारत के बाद,
बिना फीते के जूते से,
मुझे दिखाते थे ब्रह्मांड

अनुशीर्षक में

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7 APR 2023 AT 14:12

दुनिया की,
विभिन्न भाषाओं में,
बोले गये कुछ संवाद ,
पूर्णतया झूठे होते हैं।

जैसे- कन्नौजी भाषा में,
प्रश्न-"दद्दा कईसे हो?
उत्तर- बढ़िया है।
प्रश्न-घर मे सब ठीक?
उत्तर-सब ठीक कटि रही हैं।

ऐसे संवाद,
जो बोले जाते है,
निम्न वर्ग के मुखिया के द्वारा,
इनका उद्देश्य,
घर के मुखिया के,
चेहरे के पीछे की पीड़ा को छिपाना,
पेशानी की चिंता को मिटाना,
सदस्यों को खुश देखना होता हैं।

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21 MAR 2023 AT 15:13

कविताएँ,
लिखी गयी आज,
बहुत लोगों के द्वारा,
"प्रेम युक्त"

मैं भी ,
लिख सकता था,
प्रेम पर गजल।

अगर मैंने कभी,
फुटपाथ,
भिखारी,
या भूखेलोगों को,
न देखा होता।

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26 JUL 2022 AT 16:13

मैंने लिखे,
कई प्रेमपत्र,
कुछ प्रेम पत्र ,
मेज़ पर,
कुछ कूड़ेदान में,
तो कुछ बंद लिफाफों में पड़े रहे।

कुछ प्रेम पत्र ,
मैं डाकखाने लेकर गया,
तुम्हे प्रेषित करने के हेतु।
मगर तुम्हे प्रेषित न किये!

मैं मानता हूँ,
प्रेम पढ़ने का नही,
समझने का विषय है।

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27 FEB 2022 AT 15:38

मानचित्र,
नदियों का सबसे सुंदर,
मैंने चार्ट,किताबों में नही,
अपने पिता के हाथों में देखा।
और समझ गया उनके उद्गम स्थान।
अनुशीर्षक में— % &

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