जो कहना था,
अब कह देंगे,
सारे भेद भी
सह सह लेंगे।-
तन्हाइयों में सीख लिया,
खुद से खुद को लिख लिया।
जो न कह सका जमाने से,
अश्कों संग वो जी लिया।-
रेखा ने थामा दिल्ली का मान,
नए सफर की नई उड़ान।
न्याय, नारी, और शक्ति की बात,
अब कमान है उसके हाथ।-
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अंधेरा टिक नहीं सकता
सदा उजालों के आगे,
सूरज निकल ही आता है
हर काली रात के आगे।-
मोहब्बत का असूल
टेडी वीयर से नहीं,
दिल के जज़्बातों के
मेरे ख़ज़ाने से है।-
वादे कसमें छोड़,
मोहब्बत में चाहत ही रही,
दिल से दिल की बात थी,
कोई शरारत ही रही।-
बंद पेटियों में दिल्ली की सत्ता,
रंगीन तख्तों पर चढ़ी सत्ता की ध्वजा।
झूमते हैं भीतर, लाखों सपने,
फूलों के बगीचे और मन के किले।
संगीन शोर में, एक चुप्पी छुपी,
नकली मुस्कानें और ताज के बूट।
कुछ हाथ फैलते हैं, कुछ हाथ कटते,
बंद पेटियों में ही घुटते हैं अनकहे मुद्दे।
कभी ये पेटियां होती थीं खाली,
अब यहां हैं दस्तावेज़, फैसलों की धारा।
हर शब्द में घुलती है राजनीति की स्याही,
हर दस्तखत में सिमटती है उम्मीदों की बाज़ी।
आओ, खोलें इन बंद पेटियों को,
सत्य की रोशनी से इन्हें उजागर करें।
ताकि दिल्ली की सत्ता में,
हर दिल की आवाज़ फिर से गूंजे।-
बिखरे से हम भले लगे,
तेरी यादों में लाजवाब ढले लगे।
जो जुड़ गए तो ख्वाब बनेंगे,
तेरी रूह में भी पले लगे।-
रख हौंसला बुलंद, मंजिल खुद आवाज देगी,
धूप सहेगा जो सफर में, छांव उसे रास आएगी।
रुकने न देना कदम, तूफानों से लड़ता चल,
जो चलते रहे निरंतर, राह उन्हें खास देगी।-
एक दिन मिल जाएंगे, वो सपने सुहाने,
जो देखे थे हमने, सितारों के जाने।
हर बूँद पसीने की कीमत चुकाकर,
कदम दर कदम आगे बढ़ाकर।
राहों में आएंगे कांटे हज़ारों,
पर हिम्मत रखेंगे, ना होंगे बेचारों।
जो अभी धुंधला है, वो साफ़ होगा,
मेहनत का सूरज, चमकदार होगा।
बादल छटेंगे, उजाला खिलेंगे,
सपने हकीकत में खुद ही ढलेंगे।
संघर्ष की लौ से दीपक जलाएंगे,
एक दिन हम भी मंज़िल पाएंगे।-